जोरों पर रेल रूटों पर विद्युतीकरण का काम, 10 सालों में 9 गुणा तेजी से बढ़ा नेटवर्क

 

नई दिल्ली: भारतीय रेलवे यात्रियों के सुगम सफर के साथ-साथ पर्यावरण को संरक्षित रखने की मुहिम में भी लगा रहता है. रेलवे की कोशिश देशभर के रेल नेटवर्क का 100 फीसदी विद्युतीकरण (100 Percent Electrification) करने की है, ताकि इससे ईंधन पर खपत कम हो और पर्यावरण पर ज्यादा असर न पड़े. रेलवे इस मामले में अपने मिशन मोड पर है और ब्रॉड गेज पर अब तक 47 हजार रूट किलोमीटर तक विद्युतीकरण कर दिया गया है.

रेलवे ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर अपने एक पोस्ट में बताया कि रेलवे मिशन 100 फीसदी विद्युतीकरण के साथ आगे बढ़ रही है, और अपने हरित नेटवर्क के लिए ब्रॉड गेज विद्युतीकरण 2004 से 2014 की तुलना में अगले 10 सालों में 9 गुना वृद्धि के साथ 5,188 रूट किलोमीटर से बढ़कर करीब 47 हजार रूट किलोमीटर तक की वृद्धि कर डाली है.

ब्रॉड गेज नेटवर्क के विद्युतीकृत के काम में तेजी

भारतीय रेल के ब्रॉड गेज (बीजी) नेटवर्क के विद्युतीकृत का काम अपने मुकाम की ओर पहुंच गया है. पिछले कुछ सालों में रेल विद्युतीकरण में खासी प्रगति हुई है. नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से पहले साल 2014 तक देश में 21,801 किलोमीटर नेटवर्क का विद्युतीकरण किया गया था, लेकिन 2014 के बाद से लेकर अब तक इसमें खासी प्रगति हुई है. अब तक 46,900 रूट किलोमीटर का विद्युतीकरण कर दिया गया है.

खास बात यह है कि 2014 से पहले तक भारत में जहां करीब 60 सालों में ब्रॉड गेज (बीजी) नेटवर्क के विद्युतीकरण का काम धीमी गति से चल रहा था और महज 21,801 रूट किलोमीटर पर विद्युतीकरण किया जा सका, वहीं 2014 के बाद से इस काम में खासी तेजी आई. 2004 से 2014 तक 5,188 रूट किलोमीटर का विद्युतीकरण किया गया तो वहीं 2024 से 2025 तक 9 गुना इजाफे के साथ 46,900 रूट किलोमीटर का विद्युतीकरण कर दिया गया.

6 राज्य अपने 100 फीसदी टारगेट थोड़ा पीछे

इससे पहले 26 मार्च को रेलवे मंत्रालय की ओर से जानकारी दी गई थी कि ब्रॉड गेज (बीजी) नेटवर्क के विद्युतीकृत का काम करीब 98 फीसदी पूरा हो चुका है और शेष खंडों पर काम चल रहा है. देश के जिन राज्यों में विद्युतीकृत का काम 100 फीसदी पूरा नहीं हुआ है, उसमें राजस्थान (98 फीसदी), गुजरात (97 फीसदी), कर्नाटक (96 फीसदी), तमिलनाडु (96 फीसदी), गोवा (88 फीसदी) और असम (79 फीसदी) राज्य हैं.

तमिलनाडु में रेल लाइनों का करीब 96 फीसदी विद्युतीकरण का काम पूरा हो गया है, राज्य के शेष खंडों में विद्युतीकरण का काम 444 करोड़ रुपये की लागत से शुरू कर दिया गया है.

विद्युतीकरण से पर्यावरण संतुलन को फायदा

रेल लाइन के विद्युतीकरण किए जाने से पर्यावरण को संरक्षित करने में खासी मदद मिलती है. इससे जीवाश्म ईंधन पर निर्भरता कम हो जाती है और डीजल की खपत भी कम होती है. इस वजह से कार्बन उत्सर्जन कम होता है. विद्युतीकरण होने से बेहतर ढुलाई क्षमता और ट्रेन की गति भी बढ़ती है, और इस वजह से यात्रा में समय भी कम लगता है और दक्षता भी बढ़ती है.

2018-19 की तुलना में 2023-24 के दौरान भारतीय रेल को ट्रैक्शन उद्देश्य के लिए ईंधन की खपत में 136 करोड़ लीटर का फायदा हुआ.

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