ईरानी सुप्रीम लीडर के सलाहकार ने अमेरिका के नौसेना पर हमले का किया आह्वान, क्या ईरान लड़ेगा युद्ध? पेंटागन के पूर्व अधिकारी ने क्या कहा?

तेहरान/वॉशिंगटन: अमेरिका ने ईरान के तीन बड़े परमाणु ठिकानों पर हमला कर तबाह कर दिया है। फोर्डो, नतांज और इस्फहान में स्थिति परमाणु स्थलों पर अमेरिका ने बमबारी की है। अमेरिका के इस हमले के बाद पश्चिमी एशिया और खाड़ी देशों में स्थिति काफी विस्फोटक हो सकती है। इस बीच ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली खामेनेई के करीबी सलाहकार और कट्टरपंथी अखबार ‘कायहान’ के मुख्य संपादक हुसैन शरीअतमदारी ने अमेरिका को सीधे धमकी दी है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की फोर्डो न्यूक्लियर साइट पर हमले के बाद ईरान को अब अमेरिकी नौसेना के जहाजों पर मिसाइल हमले करने चाहिए और साथ ही हॉर्मुज जलडमरूमध्य को बंद कर देना चाहिए, जो वैश्विक तेल व्यापार की नाड़ी मानी जाती है।

काहान के एक टेलीग्राम संदेश में शरियतमदारी के हवाले से कहा गया है है कि “बिना किसी हिचकिचाहट या देरी के, पहले कदम के रूप में हमें बहरीन में स्थित अमेरिकी नौसेना के बेड़े पर मिसाइल हमले करने चाहिए और साथ ही अमेरिकी, ब्रिटिश, जर्मन और फ्रांसीसी शिपिंग के लिए होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करना चाहिए।” हालांकि पेंटागन के पूर्व अधिकारी माइकल रूबीन का मानना है अमेरिका के बाद भी ईरान के साथ पूर्ण युद्ध की संभावना काफी कम है।

क्या ईरान अमेरिका से लड़ने की हिम्मत नहीं करेगा?
पूर्व पेंटागन अधिकारी माइकल रूबिन ने समाचार एजेंसी ANI से बात करते हुए कहा कि “अमेरिका नहीं चाहता कि यह संकट पूर्ण युद्ध में बदले।” उन्होंने कहा कि “यूरोपीय देश, संयुक्त राष्ट्र और शायद खुद डोनाल्ड ट्रंप भी ईरान को पीछे हटने का कोई पेशकश देने की कोशिश करेंगे।” माइकल रूबिन का कहना अमेरिका का मकसद ईरान की सत्ता को उखाड़ फेंकना नहीं है। जबकि इजरायल शायद खामेनेई को हटाना चाहता है और शासन परिवर्तन की सोच रखता है, अमेरिका की रणनीति बिल्कुल अलग है। उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप ने फिर से स्पष्ट कर दिया है कि ईरान के नेतृत्व को खत्म करना अमेरिका की इच्छा नहीं है। जबकि इजरायल सर्वोच्च नेता अली खामेनेई से छुटकारा पाना चाहता है और शासन परिवर्तन करना चाहता है।” उन्होंने कहा कि “अमेरिका की कोशिश इस बात को लेकर होगी कि अगर खामेनेई आत्मसमर्पण करते हैं तो उनके जगह पर कोई नया नाम हो, जिसके पास ईरान की सत्ता का ट्रांसफर हो। सत्ताविहीन ईरान ना हो।”

माइकल रूबिन का मानना है कि ईरान को समझदारी दिखाते हुए बातचीत का रास्ता चुनना चाहिए। उसे अमेरिका से बातचीत का रास्ता खुला रखना चाहिए। लेकिन अगर ईरान जवाबी हमला करता है, तो ट्रंप पहले ही चेतावनी दे चुके हैं कि “बहुत बड़ी ताकत” से पलटवार किया जाएगा। लेकिन दूसरी तरफ यमन में ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों के एक प्रमुख अधिकारी ने रविवार की सुबह सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में ईरानी परमाणु सुविधाओं पर अमेरिकी हवाई हमलों के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को जिम्मेदार ठहराया है। हूती राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य हिजाम अल-असद ने एक्स पर पोस्ट में कहा है कि, “ट्रंप को इसके परिणाम भुगतने होंगे।” इससे पहले हूती-नियंत्रित यमनी सशस्त्र बलों के एक बयान में कहा गया था कि समूह लाल सागर में अमेरिकी नौसेना के युद्धपोतों को निशाना बनाने के लिए तैयार है, जिससे माना जा रहा है कि ईरान के खिलाफ अमेरिका का ऑपरेशन अभी जारी रहने वाला है।

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