पटना: बिहार की महिलाएं अब केवल घर की चौखट तक सीमित नहीं हैं. बल्कि वे विकास की ड्राइविंग फोर्स बनकर उभर रही हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में बिहार सरकार ने महिला सशक्तीकरण के लिए कई ऐतिहासिक कदम उठाए हैं. सरकारी नौकरियों में 35 प्रतिशत आरक्षण से लेकर सड़कों पर वाहन चलाने तक, बिहार की महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी अलग पहचान बना रही हैं.
बिहार सरकार ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लिया है. अब सभी सरकारी सेवाओं में सीधी नियुक्तियों में 35 प्रतिशत आरक्षण केवल बिहार की महिलाओं के लिए होगा. यह कदम महिलाओं को सामाजिक, आर्थिक और प्रशासनिक स्तर पर सशक्त बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो रहा है. इस नीति के तहत बिहार की बेटियां न केवल नौकरियों में आगे बढ़ रही हैं, बल्कि समाज में नेतृत्व की भूमिका भी निभा रही हैं.
पंचायतों में बढ़ रही नारी शक्ति
बिहार में पंचायती राज व्यवस्था में महिलाओं की भागीदारी पहले से ही मजबूत हो रही है. राज्य की 50 प्रतिशत से अधिक ग्राम पंचायतों, पंचायत समितियों और जिला परिषदों का नेतृत्व महिलाएं संभाल रही हैं. इसके अलावा, 29 आदर्श महिला हितैषी ग्राम पंचायतों की जिम्मेदारी पूरी तरह महिलाओं के कंधों पर है. यह दिखाता है कि बिहार की महिलाएं अब गांवों की दशा और दिशा तय करने में अपनी अहम भूमिका निभा रही हैं.
जीविका परियोजना से आत्मनिर्भरता की राह
बता दें कि महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने के लिए शुरू की गई जीविका परियोजना ने क्रांतिकारी बदलाव लाए हैं. 2007 में शुरू इस योजना के तहत 10-15 महिलाओं के स्वयं सहायता समूह बनाए गए हैं. जिनके अपने बैंक खाते हैं. बता दें कि अब तक 1.35 करोड़ से अधिक परिवार इस परियोजना से जुड़ चुके हैं. जीविका दीदियां नर्सरी, स्वास्थ्य सेवा, रसोई और सोलर शॉप जैसे क्षेत्रों में काम कर रही हैं. 10 लाख से ज्यादा दीदियों को स्वास्थ्य सेवाओं में प्रशिक्षित किया गया है. जो 45 स्वास्थ्य सहायता केंद्रों का संचालन कर रही हैं. सीतामढ़ी, नालंदा और गोपालगंज के सदर अस्पतालों में ये दीदियां प्रधानमंत्री जन औषधी केंद्र भी चला रही हैं.
सड़कों पर दिख रही नारी शक्ति
बिहार की सड़कों पर भी महिलाओं की ताकत साफ नजर आ रही है. परिवहन विभाग के आंकड़ों के मानें तो पिछले 8 सालों में पटना की 29,417 और मुजफ्फरपुर की 18,560 महिलाओं ने ड्राइविंग लाइसेंस हासिल किया है. पटना प्रमंडल में 40 हजार से अधिक और तिरहुत प्रमंडल में 33 हजार महिलाएं वाहन चला रही हैं. परिवहन सचिव का कहना है कि पहले महिलाएं निजी कामों के लिए दूसरों पर निर्भर थीं, लेकिन अब वे आत्मविश्वास के साथ गाड़ियां चला रही हैं और समाज में अपनी सशक्त भूमिका भी निभा रही हैं.
पुलिस बल में बिहार की बेटियों का दबदबा
बिहार देश का पहला राज्य है, जहां पुलिस बल में महिलाओं की संख्या सबसे ज्यादा है. वर्तमान में 36 हजार से अधिक महिला पुलिसकर्मी कार्यरत हैं, जो कुल पुलिस बल का 35 प्रतिशत से ज्यादा है. यह मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की दूरदर्शी सोच का परिणाम है. 2006 में लिए गए 35 प्रतिशत आरक्षण के फैसले ने बिहार की बेटियों को साहस और नेतृत्व का नया मंच दे दिया है. आज ये महिलाएं न केवल कानून-व्यवस्था संभाल रही हैं, बल्कि देशभर में अपनी कर्तव्यनिष्ठा का परचम भी लहरा रही हैं.