नई दिल्ली: शिवसेना (उद्धव ठाकरे गुट) का मुखपत्र सामना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पर लगातार हमला कर रहा है. सामना ने एक बार फिर निशाना साधते हुए कहा कि मोदी सरकार झूठों का गंवार विश्वविद्यालय है. और गृह मंत्री अमित शाह को उस विश्वविद्यालय का कुलपति चुन लिया गया है. सामना ने चौथी महाशक्ति बनने पर सवाल करते हुए कहा कि ऐसा है तो सरकार 2 करोड़ रोजगार का वादा क्यों नहीं पूरा कर रही, मनरेगा को क्यों बंद करना पड़ रहा. सरकारी नौकरियां क्यों बंद कर दी गईं?
सामना ने कहा, “अमित शाह मुंबई आए और बोले कि ‘मोदी ने भारतीय अर्थव्यवस्था को 10वें स्थान से चौथे स्थान पर ला दिया.’ लेकिन यह सब कब हुआ? यही वह बात है, जिसका पता भारत की जनता लगा रही है. इन 140 करोड़ लोगों की आबादी में अडानी, अंबानी, अमीर राजनेता और उनके बच्चे शामिल नहीं हैं. उनका भारत अलग है. दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था होना गर्व की बात है. हर भारतीय को इस उपलब्धि पर गर्व होना चाहिए, लेकिन अमित शाह के दावे को स्वीकार नहीं किया जा सकता.”
‘रैंकिंग जीवन की गुणवत्ता-विकास में नहीं दिख रही’
जीवन की गुणव्ता और विकास का जिक्र करते हुए सामना ने कहा, “चौथे स्थान की यह वर्ल्ड रैंकिंग न तो लोगों के जीवन की गुणवत्ता में और न ही विकास में दिखाई दे रहा है. जब अमित शाह देश की अर्थव्यवस्था पर बात कर रहे थे, उसी दौरान हरियाणा से एक दुखद खबर सामने आई. आर्थिक तंगी की वजह से एक ही परिवार के 6 लोगों ने खुदकुशी कर ली. देश में किसान, महिलाएं, परिवार और बेरोजगार लोग लगातार खुदकुशी कर रहे हैं, क्योंकि यहां पर जीना मुश्किल हो रहा है.”
“जो लोग कहते हैं कि भारत दुनिया की चौथी महाशक्ति बन गया है, उन्हें इस दुर्दशा पर भी गौर करना चाहिए. अगर भारत चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन गया तो फिर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) को पैसे की कमी के कारण क्यों बंद करना पड़ा? तेंदू पत्ता क्यों नहीं खरीदा जा रहा? रेलवे सहित सरकारी कार्यालयों में भर्ती पर क्यों बंद हैं? सार्वजनिक उपक्रमों का निजीकरण क्यों किया जा रहा है? आज भी आदिवासी इलाकों में झुग्गी-झोपड़ियों और ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं सड़कों पर बच्चों को जन्म क्यों दे रही हैं?”
‘मोदी के उद्योगपति मित्रों को हुआ फायदा’
सामना आगे कहता है, “लाडली बहनों से किए गए वादे के मुताबिक, 2100 रुपये हर महीने क्यों नहीं दिए जा रहे? देश में हर साल 2 करोड़ लोगों को रोजगार देने का वादा क्यों पूरा नहीं किया गया? इन सवालों का भी जवाब मिलना चाहिए. मोदी के दौर में ही अर्थव्यवस्था का निजीकरण किया गया और इससे जनता को नहीं, बल्कि मोदी के उद्योगपति मित्रों को फायदा हुआ.”
सरकार से सवाल करते हुए सामना लिखता है, “पीएम मोदी की अर्थव्यवस्था में उद्योगपतियों का 16 लाख करोड़ रुपये का कर्ज माफ कर दिए गए, लेकिन किसानों का कर्ज नहीं माफ किया गया. किसान अपनी उपज का न्यूनतम गारंटीकृत मूल्य (MSP) पाने के लिए रोज संघर्ष कर रहे हैं. लेकिन यह आश्चर्य की बात है कि दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था अपने किसानों को एमएसपी नहीं दे सकती.”
‘जापान नहीं चीन से होनी चाहिए तुलना’
जापान से तुलना करने पर निशाना साधते हुए सामना ने कहा, “अर्थव्यवस्था के संदर्भ में भारत की तुलना जापान से करना मूर्खता की निशानी है. जापान हर मामले में भारत की तुलना में एक छोटा देश है. यदि आप तुलना करना चाहते हैं तो आपको चीन से करनी चाहिए. चीन एक बड़ा देश है और इसकी अर्थव्यवस्था भी काफी चुनौतीपूर्ण है. यदि आप चीन और भारत की प्रति व्यक्ति आय की तुलना करें तो आपको क्या मिलेगा? कुलपति अमित शाह को इस पर कुछ कहना चाहिए.”
“प्रति व्यक्ति आय के मामले में भारत दुनिया में 143वें स्थान पर है. आईएमएफ के अनुसार, संयुक्त राज्य अमेरिका की प्रति व्यक्ति आय 75,89,804 डॉलर प्रति वर्ष है. जर्मनी की प्रति व्यक्ति आय 47,61,920 रुपये है जबकि चीन की 11,65,993 रुपये और जापान की 28,92,413 रुपये हैं. वहीं भारत में प्रति व्यक्ति आय 2,45,293 रुपये है.”
मोदी सरकार पर हमला करते हुए सामना ने कहा, “जाहिर है कि ये आंकड़े भारत के लिए आशाजनक नहीं हैं. पिछले 10 सालों में देश की अर्थव्यवस्था नीचे गिरी है. मोदी सरकार ने देश के लिए कई विनाशकारी और नुकसानदायक फैसले लिए. नोटबंदी जैसे कई फैसले ने अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ दी. इस दौरान लाखों लोगों की नौकरियां भी चली गईं. इस दौरान 5 लाख छोटे और मझोले निवेशक भारत छोड़कर विदेश में जा बसे.”
‘GST ने व्यापार को मुश्किल बना दिया’
जीएसटी से हुए नुकसान का जिक्र करते हुए सामना ने कहा, “जीएसटी ने छोटे व्यापारियों के लिए व्यापार करना बहुत मुश्किल बना दिया. महंगाई बढ़ गई. रसोई गैस, तेल, अनाज, सब्जियां जैसे जरूरी चीजें भी महंगी हो गईं. लोगों की आर्थिक स्थिति इतनी खराब हो गई कि वे भिखारी तक बन गए. उनमें से कई ने अपने खेतों और घरों में अपने परिवार के साथ खुदकुशी कर ली. हालांकि, मोदी के लोग, उनके मंत्री, अपनी अलग ही दुनिया में रह रहे हैं.”
“उत्तर प्रदेश के मंत्री धर्मपाल सिंह ने ऐलान किया है कि हम गरीबी को खत्म करने के लिए कचरे से सोना बनाने की मशीन स्थापित कर रहे हैं. तो फिर पीएम मोदी ऐसी मशीन क्यों नहीं बना रहे, जो बेरोजगारों को रोजगार दे, महंगाई कम करे और प्रति व्यक्ति आय बढ़ाए?