कौन है वो 2 पाकिस्तानी, जिसे मुनीर-शहबाज से 6 गुना ज्यादा सैलरी देगी PAK सरकार

 

नई दिल्ली: एक तरफ पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था सांसें गिन रही है. IMF के दरवाजे पर बार-बार दस्तक दी जा रही है, जनता महंगाई के बोझ तले दबी हुई है, और सरकार खर्च कम करने की बात कर रही है. वहीं दूसरी तरफ, संसद के दो सबसे ऊंचे ओहदेदारों की तनख्वाहों में ऐसा जबरदस्त उछाल आया है कि प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ आसिम मुनीर की सैलरी भी उनके आगे मामूली लगने लगी है.

29 मई को जारी एक नोटिफिकेशन के मुताबिक, सीनेट चेयरमैन और नेशनल असेंबली स्पीकर की तनख्वाह को 2.05 लाख पाकिस्तानी रुपये से सीधा 13 लाख रुपये महीना कर दिया गया है. मामला यहीं नहीं रुका, इसके ऊपर से उन्हें 6.5 लाख रुपये (यानि 50%) का ‘सम्प्चुरी अलाउंस’ भी मिलेगा. मतलब, कुल मिलाकर दोनों पदों पर बैठे दो शख्स हर महीने 19.5 लाख रुपये की मोटी रकम घर ले जाएंगे.

शहबाज मुनीर की सैलरी से तुलना

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, जिनके कंधों पर पूरे मुल्क की जिम्मेदारी है, उनकी सैलरी है करीब 3 लाख रुपये महीना. और आर्मी चीफ जनरल (अब फील्ड मार्शल) आसिम मुनीर, जो देश की रक्षा और आंतरिक सुरक्षा का जिम्मा संभालते हैं, उन्हें मिलते हैं 2.5 लाख रुपये प्रति माह. इस हिसाब से सीनेट चेयरमैन और स्पीकर की मासिक आमदनी PM से 6.5 गुना और आर्मी चीफ से करीब 8 गुना ज्यादा है.

फैसले का विरोध भी हुआ शुरु

इस फैसले ने न सिर्फ जनता की आंखें फाड़ी हैं, बल्कि खुद सरकार की पार्टी PML-N के अंदर भी बगावत जैसे सुर उठने लगे हैं. वरिष्ठ नेता साद रफीक ने इसे नैतिक रूप से गलत बताया और एक्स (ट्विटर) पर लिखा कि सीनेट चेयरमैन और स्पीकर की तनख्वाहों में अचानक इतनी बड़ी छलांग और फिर 50% अलाउंस देना, ये हजम करना मुश्किल है.

PML-N के एडिशनल सेक्रेटरी इंफॉर्मेशन जाहिद खान ने सरकार की दोहरी नीतियों पर सवाल उठाए. उन्होंने यहां तक कहा कि चेयरमैन और स्पीकर को खुद आगे आकर इस सैलरी बढ़ोतरी को ठुकरा देना चाहिए. ANP पार्टी ने भी इस फैसले को जनता के जख्मों पर नमक छिड़कने जैसा बताया और तुरंत इस फैसले को रद्द करने की मांग की.

सांसदों-मंत्रियों की भी हुई ‘मलाईदार’ बढ़ोतरी

यही नहीं, मार्च 2025 में ही फेडरल कैबिनेट के मंत्रियों की सैलरी में 188% का इजाफा हुआ था. वहीं, सांसदों और सीनेटरों की सैलरी अब 5.19 लाख रुपये प्रतिमाह हो चुकी है. नेशनल असेंबली सेक्रेटेरिएट के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक, जनवरी 2016 के बाद पहली बार इस स्तर की बढ़ोतरी की गई है. यानी पूरे नौ साल बाद, ऐसा वेतन विस्फोट हुआ है जिसने सबको हैरान कर दिया है.

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