मौत और अपराध बढ़ा रही दवा फेंटानिल में ऐसा क्या है? जिसके लिए ट्रंप ने कनाडा पर लगाया 35% टैरिफ

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने कनाडा पर 35 फीसदी का एक नया टैरिफ लगा दिया है. फेंटानिल नाम की दवा पर उन्होंने यह टैरिफ लगाया है. ट्रम्प का आरोप है कि इस दवा की वजह से अमेरिका में हर साल हजारों मौतें हो रही हैं. जानकार इस ताजे घटना क्रम को दोनों देशों के बीच में चल रही रार और तनातनी के रूप में देखते हैं. संभव है कि ट्रम्प के इस फैसले का असर दोनों देशों के व्यापार पर भी पड़े.

आइए इस पूरे मामले को समझते हैं. आखिर क्या है फेंटानिल? इसका उपयोग किस रोग में किया जाता है? जब यह दवा है तो अमेरिका में मौतें क्यों हो रही हैं? यह भी जानेंगे कि आखिर कैसे यह वैश्विक चिंता का विषय बन गया? एक-एक सवाल का जवाब बारी-बारी से समझते हैं.

फेंटानिल क्या है?

फेंटानिल एक सिंथेटिक ओपिओइड है. दर्द निवारक के रूप में इसका इस्तेमाल मेडिकल क्षेत्र में होता है. यह मॉर्फिन से लगभग 50 गुना और हीरोइन से 100 गुना ज्यादा शक्तिशाली बताया जाता है. डॉक्टर इसे कैंसर और दर्द से कराह रहे गंभीर मरीजों को सीमित मात्रा में और नियंत्रित तरीके से देते हैं. आज यह दुनिया की जरूरत बन चुका है.

विश्व स्वास्थ्य संगठन भी इसे इलाज में जरूरी मानता है. पर, हाल के वर्षों में इसका इस्तेमाल नशीले पदार्थ में मिला कर इस्तेमाल करने की घटनाएं तेजी से बढ़ी हैं. नतीजे में इसका गैरकानूनी उत्पादन और तस्करी भी बढ़ी है और अब यह वैश्विक संकट के रूप में सामने है. यही चिंता की मुख्य वजह है.

वैश्विक संकट से निपटने को एक देश पर टैरिफ क्यों?

सवाल यह है कि अगर यह वैश्विक संकट है तो अमेरिका टैरिफ लगाकर इसे रोकने की कोशिश क्यों कर रहा है? यह कैसे कारगर होगा? असल में फेंटानिल संकट की शुरुआत अमेरिका में साल 2010 के बाद से देखी गई. पहले यह दवा केवल अस्पतालों और डॉक्टरों के पर्चे पर मिलती थी, लेकिन धीरे-धीरे इसका अवैध उत्पादन शुरू हो गया. आरोप है कि चीन और मैक्सिको के बाद अब कनाडा भी फेंटानिल के व्यापार का बड़ा केंद्र बन गया है। इसमें तस्कर शामिल हो गए. नतीजा यह हुआ कि अब यह पाउडर, टैबलेट और यहां तक कि कैंडी के रूप में भी उपलब्ध है.

अमेरिका में फेंटानिल एक बड़े संकट के रूप में

अमेरिका में फेंटानिल के कारण ओवरडोज़ से मरने वालों की संख्या लगातार बढ़ रही है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक पिछले साल अमेरिका में 1.12 लाख और साल 2023 में लगभग 70 हजार से अधिक मौतें हुईं, जिसकी मुख्य वजह फेंटानिल या अन्य सिंथेटिक ओपिओइड्स के ओवरडोज़ मानी गई. फेंटानिल की सबसे बड़ी समस्या यह है कि यह पेंसिल की नोक के बराबर भी लेने पर भी जानलेवा हो सकती है. बावजूद इसके अमेरिका में इसका इस्तेमाल नशे के रूप में बढ़ा है. जो निश्चित तौर पर किसी भी देश के लिए चिंता का विषय हो सकता है.

इस टैरिफ की असली कहानी कुछ और है

जब ट्रम्प दोबारा राष्ट्रपति चुनाव लड़ रहे थे, तभी से उनकी नजरें कनाडा पर टेढ़ी थीं. वे तो उसे अमेरिका का एक राज्य बनाना चाहते हैं. कनाडा उनकी हर शर्त मानने को तैयार नहीं है. जिस दवा पर ट्रम्प ने टैरिफ लगाया है, उसका उत्पादन कनाडा भी करता है और अमेरिका भी. दुनिया के कई और देशों में भी इसका उत्पादन हो रहा है.

ट्रम्प का आरोप है कि कनाडा ने इसे अमेरिका में बढ़ने दिया. सीमा से हो रहे अवैध व्यापार को रोकने की कोई कोशिश नहीं की. हालांकि, मैनहट्टन इंस्टीट्यूट की ताजी रिपोर्ट ट्रम्प के दावों से इनकार करती है. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कनाडा का योगदान इसमें न के बराबर है. इस आंकड़े का आधार सीमा पर जब्त की गई दवा है. इसके स्रोत अन्य देश भी हैं, अकेले कनाडा नहीं. अमेरिका में मिलने वाला अवैध फेंटानिल का स्रोत मैक्सिको या चीन है. पर, ट्रम्प ने कनाडा के पीएम को भेजे पत्र में स्पष्ट लिखा है कि कनाडा ने फेंटानिल के अवैध व्यापार को रोकने की उचित कोशिश नहीं की.

कनाडा-अमेरिका, दोनों के सामने फेंटानिल है एक संकट

फेंटानिल संकट ने अमेरिका और कनाडा दोनों देशों में सामाजिक और आर्थिक समस्याएं पैदा कर दी हैं. एक ओर जहां हजारों मौतें हो रही हैं तो दूसरी ओर सरकारों को स्वास्थ्य सेवाओं पर भारी खर्च करना पड़ रहा है. पुलिस, अस्पताल, और सामाजिक संस्थाएं लगातार इस संकट से जूझ रही हैं. इसके अलावा, ड्रग्स के कारण अपराध दर भी बढ़ा है. दोनों ही देशों की सरकारें फेंटानिल संकट से निपटने के लिए कई कदम उठा रही हैं.

अमेरिका ने चीन और मैक्सिको पर भी दबाव बनाया है कि वे फेंटानिल के कच्चे माल की तस्करी पर रोक लगाएं. कनाडा ने भी अपने कानून सख्त किए हैं और सीमा पर सुरक्षा बढ़ाई है. दोनों ही देश जागरूकता अभियान चला रहे हैं ताकि लोग फेंटानिल के खतरों को समझ सकें. एक्सपर्ट कहते हैं कि इस संकट से निपटने में केवल टैरिफ या सख्त कानून पर्याप्त नहीं हैं. इसके लिए अंतरराष्ट्रीय सहयोग, बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं और नशा मुक्ति कार्यक्रमों की जरूरत है. साथ ही, समाज में जागरूकता बढ़ाना भी जरूरी है ताकि लोग ड्रग्स के जाल में न फंसें.

किन-किन देशों में हो रहा है फेंटानिल दवा का निर्माण?

  • चीन लंबे समय तक फेंटानिल और उसके कच्चे रसायन का सबसे बड़ा उत्पादक और निर्यातक रहा है. यहां कई फार्मास्युटिकल कंपनियां वैध रूप से फेंटानिल बनाती हैं, लेकिन अवैध लैब्स भी बड़ी मात्रा में फेंटानिल और उससे जुड़े रसायन बनाती हैं, जो तस्करी के जरिए अमेरिका, कनाडा और अन्य देशों में पहुंचते हैं. हाल के वर्षों में चीन ने फेंटानिल पर नियंत्रण कड़े किए हैं, लेकिन अवैध उत्पादन अब भी चिंता का विषय हैं.
  • मैक्सिको में फेंटानिल का अवैध उत्पादन बहुत तेजी से बढ़ा है। यहां बड़े पैमाने पर उत्पादन हो रहा है. यह वैध और अवैध दोनों ही तरीके से हो रहा है. नतीजे में यहाँ से बड़े पैमाने पर तस्करी के जरिए अमेरिका तक यह दवा पहुंच रही है. मैक्सिको अब अमेरिका में मिलने वाले अवैध फेंटानिल का सबसे बड़ा स्रोत बन गया है.
  • भारत भी फेंटानिल और उसके प्रीकर्सर्स का वैध उत्पादन करता है. यहां की फार्मा कंपनियां मेडिकल उपयोग के लिए फेंटानिल बनाती हैं, जो दुनिया के कई देशों में निर्यात होता है.
  • कनाडा में भी फेंटानिल का वैध और अवैध दोनों तरह का उत्पादन होता है। यहां कुछ अवैध लैब्स पकड़ी गई हैं, जो फेंटानिल बनाकर घरेलू और अमेरिकी बाजार में भेजती हैं।
  • अमेरिका में भी फेंटानिल का उत्पादन मेडिकल उपयोग के लिए होता है. यहां अवैध लैब्स की संख्या बहुत कम है. कानून की सख्ती की वजह से यह संभव हुआ है. अमेरिका में मिलने वाला ज्यादातर अवैध फेंटानिल मैक्सिको या चीन से आता है. इसके प्रमाण अमेरिका का पास भी हैं.
  • बेल्जियम, जर्मनी, नीदरलैंड्स जैसे कुछ अन्य देशों में भी फेंटानिल का सीमित मात्रा में उत्पादन होता है. लेकिन ये मुख्य रूप से मेडिकल उपयोग के लिए है और इन देशों में अवैध उत्पादन की घटनाएं न के बराबर हैं.

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