नई दिल्ली: स्वदेशी यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) जब पेश किया गया था तो शायद ही किसी ने सोचा होगा कि ये Visa और MasterCard जैसी पेमेंट सर्विस को पीछे छोड़ देगा. आपको बता दें Visa और MasterCard की सर्विस करीब 67 साल पहले शुरू हुई थी, लेकिन यूपीआई ने 9 साल में ही इसे दांतो तले चने चबाने का काम किया है. आइए जानते हैं कैसे यूपीआई बहुत जल्द दुनिया का नंबर 1 पेमेंट सिस्टम बनने जा रहा है.
UPI ने दी Visa को टक्कर
यूपीआई के जून के महीने के ट्रांजेक्शन को देखा जाए तो ये Visa के ट्रांजेक्शन से कहीं ज्यादा हैं. जहां 1 जून 2025 को यूपीआई से 64.4 करोड़ ट्रांजेक्शन हुए और अगले ही दिन इन ट्रांजेक्शन की संख्या 65 करोड़ पार कर गई. वहीं फाइनेंशियल ईयर 24 में Visa से होने वाले ट्रांजेक्शन की संख्या 64 करोड़ थी. जबकि जून 2025 में यूपीआई से होने वाले शुरुआती तीन दिन के एवरेज ट्रांजेक्शन 64.8 करोड़ रहे. यूपीआई की इस बढ़त पर एयरपे के संस्थापक कुणाल झुनझुनवाला ने कहा कि यूपीआई डेली ट्रांजैक्शन में जल्द ही Visa से आगे निकलने वाला है.
2025 में ऐसे निकलेगा यूपीआई आगे
यूपीआई पहले ही Visa से काफी आगे निकल चुका है, जहां वीजा से दुनियाभर में रोजाना 64 करोड़ ट्रांजेक्शन होते हैं, जबकि यूपीआई से जून 2025 में रोजाना 65 करोड़ से अधिक लेनदेन हो रहे हैं. ये आंकड़े बताते हैं कि यूपीआई ने वीजा को ट्रांजेक्शन के मोर्चे पर पीछे छोड़ दिया है और भविष्य में ये एक पावरफुल पेमेंट ऑप्शन बनता जा रहा है. जानकारों के अनुसार 2029 तक यूपीआई से सालाना 43900 करोड़ ट्रांजेक्शन होंगे. जो 2024 में किए गए ट्रांजेक्शन से तीन गुना ज्यादा है. आपको बता दें फिलहाल भारत में 90 प्रतिशत डिजिटल ट्रांजेक्शन यूपीआई से किए जा रहे हैं.
जैगल के संस्थापक और कार्यकारी अध्यक्ष राज पी नारायणम ने कहा कि यूपीआई के साथ अब प्रतिदिन औसतन 60 करोड़ से अधिक लेनदेन हो रहे हैं और यह वीज़ा के Q2FY25 के दैनिक औसत लगभग 66 करोड़ के करीब पहुंच रहा है, अब सवाल यह नहीं है कि क्या यूपीआई सालाना आधार पर वीज़ा से आगे निकल जाएगा? “वर्तमान रुझान से पता चलता है कि यूपीआई वित्त वर्ष 29 तक 400 अरब वार्षिक लेनदेन को पार कर सकता है, जो आज वीज़ा के 233 करोड़ ट्रांजेक्शन से काफी आगे है. उन्होंने कहा कि जहां वीज़ा लगातार बढ़ रहा है, वहीं यूपीआई कम खर्च और आसान फेसिलिटी की वजह से दुनियाभर में पेमेंट के लिए उपयोग किया जाने वाला ट्रांजेक्शन मॉडल बन रहा है.