नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने एक गजट अधिसूचना जारी कर घोषणा कर दी है कि जनगणना 2027 में की जाएगी. इस अधिसूचना के जारी होने के बाद सियासी तापमान चढ़ गया है. कांग्रेस ने केंद्र पर हमला बोला है और उसने आरोप लगाया है कि सरकार के नोटिफिकेशन में ‘जाति’ शब्द का इस्तेमाल नहीं किया गया है. वहीं, जाति को लेकर सवाल उठाए जाने के बाद बीजेपी ने कांग्रेस पर पलटवार करते हुए सत्ता में रहने के दौरान भारत के ओबीसी और ईडब्ल्यूएस समुदायों को धोखा देने का आरोप लगाया. जनगणना को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में जुबानी जंग तेज है.
कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने कहा, ‘सरकारें प्रेस विज्ञप्तियों से नहीं चलती हैं, सरकारें चलती हैं और फैसले अधिसूचनाओं के माध्यम से, सरकारी आदेशों के माध्यम से घोषित किए जाते हैं. अक्टूबर 2024 के तेलंगाना जीओ (सरकारी आदेश) में तीन जगहों पर स्पष्ट रूप से ‘जाति’ शब्द लिखा है. इसलिए, हर जाति समूह पर सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण किया जा रहा है. यही असली मंशा है, जो इस सरकारी आदेश के माध्यम से देखी जा सकती है.’
बीजेपी की मंशा हमेशा संदिग्ध रही- खेड़ा
उन्होंने कहा, ‘कल के भारत सरकार के नोटिफिकेशन में, ‘जाति’ शब्द कहां है? उन्होंने जाति समूहों का सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण कहां लिखा है? उन्होंने नहीं लिखा है. इससे यह भी पता चलता है कि चूंकि बीजेपी हमेशा से तमाम जातियों के सामाजिक-आर्थिक सर्वेक्षण का विरोध करती रही है, इसलिए हमें हमेशा उनकी मंशा पर शक होता है. ये सवाल बीजेपी पर उठेंगे क्योंकि उनकी मंशा हमेशा संदिग्ध रही है.’
पवन खेड़ा ने ये भी कहा, ‘तेलंगाना का हर एक निवासी इसमें शामिल था और इसलिए रिपोर्ट काफी सटीक है. उस रिपोर्ट के आधार पर तेलंगाना सरकार ने पहले ही सामाजिक न्याय की दिशा में, आर्थिक न्याय की दिशा में उचित कदम उठाए हैं. ये एक सफल मॉडल है और हम उम्मीद करते हैं कि भारत सरकार भी उस मॉडल का अनुकरण करेगी.’
केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव की प्रेस कॉन्फ्रेंस पर कांग्रेस नेता ने कहा, ‘उनके पास जनगणना के लिए अपनी अधिसूचना में ‘जाति’ शब्द का उल्लेख करने का भी साहस नहीं है और वे उस पार्टी पर उंगली उठा रहे हैं, जिसने न केवल तेलंगाना में इसे सफलतापूर्वक किया है, बल्कि इसका अनुसरण भी कर रही है और अब यह सुनिश्चित कर रही है कि कर्नाटक में भी तेलंगाना मॉडल का पालन किया जाए.’
शहजाद पूनावाला ने लगाए ये आरोप
जनगणना पर कांग्रेस के तथ्य जांच पर बीजेपी नेता शहजाद पूनावाला ने कहा, ‘कांग्रेस एक फर्जी खबर बनाने वाली फैक्ट्री है. वे एक और झूठ फैला रहे हैं कि जाति जनगणना पर यू-टर्न ले लिया गया है. उन्हें पता होना चाहिए कि पीआईबी ने 15 जून की अपनी रिलीज में स्पष्ट रूप से उल्लेख किया है कि जाति जनगणना की जाएगी. अब जब कर्नाटक में कांग्रेस के जाति सर्वेक्षण पर से पर्दा उठ गया है, तो वहां की सरकार 10 साल पहले 165 करोड़ रुपए की लागत से किए गए पिछले सर्वेक्षण की रिपोर्ट देने के बजाय फिर से सर्वेक्षण कर रही है. कांग्रेस के पूर्वजों ने 1995 में जाति जनगणना रोक दी, 1960 के दशक में आरक्षण का विरोध किया, इंदिरा और राजीव गांधी मंडल आयोग की रिपोर्ट के सख्त खिलाफ थे. 2004-14 में भी, कांग्रेस ने SC, ST को दरकिनार करके मुसलमानों को आरक्षण देने की चालाकी से कोशिश की और तेलंगाना और कर्नाटक में भी ऐसा ही किया. कांग्रेस संविधान विरोधी, अंबेडकर विरोधी और ओबीसी विरोधी है.’
बीजेपी ने क्या-क्या कहा?
बीते दिन केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर जाति सर्वेक्षण पर कहा था, ‘2014 में भारत को एक कमजोर अर्थव्यवस्था माना जाने का कारण कांग्रेस पार्टी की ओर से भ्रष्टाचार के जरिए करदाताओं के पैसे का दुरुपयोग करना और उनका भरोसा तोड़ना था. उन्हें जवाब देना चाहिए कि 165 करोड़ रुपए कैसे खर्च किए गए, जबकि कांग्रेस खुद अब उस डेटा की सत्यता पर सवाल उठा रही है. उस खर्च की जिम्मेदारी कौन लेगा? कांग्रेस अपने पुराने ढर्रे को दोहरा रही है और हम कर्नाटक की महंगी कवायद के लिए जवाबदेही की मांग करते हैं. उनका फिर से सर्वेक्षण राजनीतिक कवर-अप से ज़्यादा कुछ नहीं है.’
उन्होंने कहा, ‘कांग्रेस ने हमेशा ओबीसी समुदाय को धोखा दिया है. अगर कांग्रेस की मंशा सच्ची होती तो वह काका कालेलकर आयोग को खत्म करके नया आयोग बनाती. इसके बजाय, उन्होंने आयोग की रिपोर्ट को खारिज कर दिया और शासन करना जारी रखा. बाद में, जब मंडल आयोग का गठन किया गया और सुप्रीम कोर्ट ने इसकी वैधानिकता को बरकरार रखा, तो कांग्रेस ने ओबीसी आयोग को कमजोर करने का काम किया. कांग्रेस कभी भी गरीबों, ओबीसी या एससी-एसटी समुदायों के साथ खड़ी नहीं रही. उनका इतिहास उपेक्षा का एक पैटर्न दिखाता है. अब भी, कर्नाटक में उनके कार्य उनके पाखंड को उजागर करते हैं. राहुल गांधी राज्य को एक आदर्श मॉडल कहते हैं, फिर भी जाति सर्वेक्षण पुनर्गणना के आसपास का समय और विरोधाभास साबित करते हैं कि सामाजिक न्याय उनके लिए सिर्फ दिखावा है.’
जयराम रमेश ने उठाए थे ये सवाल
जयराम रमेश ने कहा था. ‘जो अधिसूचना आई है इसमें नई बात क्या है? इसमें यही कहा गया है न कि जम्मू-कश्मीर, हिमाचल और उत्तराखंड में अक्टूबर 2026 को भारत के अन्य राज्यों में मार्च 2027 को जनगणना होगी, यह तो 30 अप्रैल को ही घोषणा की गई थी तो यह बहुत प्रचारित अधिसूचना है. अंत में क्या निकला, यही जो 30 अप्रैल को आपने घोषणा की थी वही दोहराया है और इसमें सिर्फ जनगणना की बात है, जातीय जनगणना की बात नहीं है. क्यों इसमें जाति को लेकर कोई जिक्र नहीं किया गया. इसमें जाति के बारे में कोई जानकारी नहीं दी गई, कितने सवाल होंगे, क्या सिर्फ गिनती होगी या सामाजिक, आर्थिक स्थिति पर भी सवाल होंगे इसके बारे में कुछ नहीं है। हेडलाइन बनाने के लिए उन्होंने यह अधिसूचना निकाली. बहुत से सवाल हैं और हम यह दबाव कायम रखेंगे कि तेलंगाना मॉडल राष्ट्रीय स्तर पर अपनाया जाना चाहिए.’
दो चरणों में कराई जाएगी जनगणना
वहीं, जनगणना का नोटिफिकेशन जारी होने के साथ ही इसकी प्रक्रिया आधिकारिक तौर पर शुरू हो चुकी है. इस प्रक्रिया में पहले जनगणना करने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों की ट्रेनिंग होगी और फिर जनगणना का काम शुरू होगा. इस बार जनगणना दो चरणों में होगी. पहले चरण में जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, हिमाचल और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में जनगणना होगी. इसके बाद दूसरे चरण में देश के बाकि हिस्सों में जनगणना की प्रक्रिया पूरी होगी. जानकारी है कि जनगणना का पहला चरण 1 अक्टूबर 2026 तक पूरा होगा, जबकि दूसरा चरण 1 मार्च 2027 को पूरा होगा.