महराजगंज (आनन्द श्रीवास्तव)। सहकारी समितियों पर खाद वितरण के दौरान लग रही लंबी लाइनों के पीछे तस्करों की सक्रियता को कारण बताया जा रहा है। इससे न केवल वितरण के समय स्थानीय प्रशासन को भारी दबाव का सामना करना पड़ रहा है, बल्कि सरकार की छवि पर भी नकारात्मक असर पड़ रहा है।
सूत्रों के अनुसार, तस्करों द्वारा जन सेवा केंद्रों से दूसरे व्यक्तियों के नाम से खाद का इंतखाब निकालकर महिलाओं को तड़के तीन बजे से ही लाइन में खड़ा कर दिया जाता है। ये महिलाएं अपने आधार कार्ड से अंगूठा लगाकर खाद प्राप्त कर रही हैं। इस तरह की गतिविधियों से हालात दिन-ब-दिन बिगड़ते जा रहे हैं।
भीड़ में बड़ी संख्या में पुरुष और युवा भी शामिल हैं। इस स्थिति पर नियंत्रण के लिए जिला तथा स्थानीय प्रशासन, समाजसेवियों, जनप्रतिनिधियों और सरकारी समितियों के निदेशकों व अध्यक्षों को सख्त कदम उठाने की आवश्यकता है, जिसमें जिला प्रशासन का सहयोग सबसे अहम है। केवल जरूरतमंद किसानों को ही खाद उपलब्ध हो।
कुछ चिंतकों का सुझाव है कि खाद का वितरण बिना आधार कार्ड और खतौनी के सत्यापन के न किया जाए। आधार कार्ड और खतौनी पर दर्ज नाम का मिलान अनिवार्य किया जाए, और यदि खतौनी में दर्ज परिवार का नाम आधार कार्ड से मेल नहीं खाता, तो ऐसे व्यक्तियों को खाद किसी भी परिस्थिति में न दी जाए। साथ ही, समिति के निदेशक और बड़े काश्तकार सदस्य, जिनकी सदस्यता शुल्क से समिति का संचालन हो रहा है, उन्हें प्रथम वरीयता के आधार पर खाद दी जानी चाहिए।
इन नियमों को लागू कर कड़ाई से पालन कराने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। जरूरत पड़ने पर भारी संख्या में पुलिस बल की तैनाती की भी सिफारिश की गई है। स्थानीय स्तर पर यह भी कहा जा रहा है कि यदि जिला प्रशासन इन उपायों को गंभीरता से लागू कर दे, तो केवल एक दिन के वितरण में ही दूसरी बार से भीड़ में कमी आ सकती है।