2034 में एक साथ होंगे चुनाव! ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ पर सरकार ने तैयार किया टास्क फोर्स

 

नई दिल्ली: केंद्र सरकार ने एक देश एक चुनाव के सपने को साकार करने की दिशा में बड़ा कदम उठाया है. सरकार द्वारा गठित उच्चस्तरीय टास्क फोर्स की सिफारिशों के आधार पर अब 2034 में लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के चुनाव एक साथ कराए जाएंगे. इस दिशा में 2029 से पहले संसद में विधेयक पारित कर जरूरी संवैधानिक और कानूनी संशोधन किए जाएंगे. सरकार ने एक विस्तृत रोडमैप तैयार किया है, जिसमें बताया गया है कि कैसे 2029 से 2034 के बीच चरणबद्ध तरीके से राज्यों की विधानसभाओं का कार्यकाल समायोजित कर 2034 में एक साथ चुनाव की स्थिति बनाई जाएगी.

सरकार ने तैयार किया टास्क फोर्स

एक देश एक चुनाव का बिल भले ही अभी जेपीसी के पास है लेकिन सरकार ने इसके लिए टास्क फोर्स तैयार किया है और टास्क फोर्स ने इसके लिए 2029 से जन-जागरूकता अभियान शुरू करने का रिपोर्ट भी दिया है. 2029 से जन-जागरूकता अभियान शुरू किया जाएगा, जिसमें आम जनता, एनजीओ, सामाजिक संगठन और बुद्धिजीवियों को जोड़ा जाएगा.

इसके तहत 2029 में आंध्र प्रदेश, ओडिशा, अरुणाचल प्रदेश और सिक्किम विधानसभाओं के चुनाव लोकसभा चुनाव के साथ कराए जाएंगे. इसके बाद 2029 से 2034 तक जिन राज्यों में चुनाव होंगे, उनके कार्यकाल को 2034 तक लाया जाएगा. 2034 में पहली बार पूरे देश में लोकसभा और विधानसभाओं के समानांतर चुनाव कराए जाएंगे.

टास्क फोर्स की रिपोर्ट में क्या?

टास्क फोर्स की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यदि किसी विधानसभा का कार्यकाल 2034 से पहले समाप्त हो रहा हो तो स्थायी या अंतरिम उपायों के जरिए चुनाव टाले जा सकते हैं. इसके लिए एक 17 स्लाइड्स का पावर प्वाइंट प्रेजेंटेशन तैयार किया गया है जिसे राज्यों, संगठनों और मीडिया के माध्यम से जनता तक पहुंचाया जाएगा. शिवराज चौहान भी टास्क फोर्स का हिस्सा हैं और कई कार्यक्रमों में इसके समर्थन की अपील कर रहे हैं. दरअसल, टास्क फोर्स की सिफारिश पर केंद्र सरकार पांच प्रमुख विषयों पर जनसमर्थन जुटाएगी.

  1. चुनाव खर्च और प्रशासनिक लागत में कैसे आएगी कमी
  2. शासन और नीति-निर्माण में कैसे बढ़ेगा स्थायित्व
  3. केंद्र और राज्य सरकारों के बीच नीतिगत समन्वय
  4. मतदाता सहभागिता में कैसे हो सकती है वृद्धि
  5. देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा कैसा सकारात्मक प्रभाव

तमाम एक्सपर्ट्स, जिन्होंने जेपीसी के सामने अपनी बात रखी है, एक देश एक चुनाव से देश को फायदे की बात कर रहे हैं. पीएम मोदी के ये ड्रीम प्रोजेक्ट है और वो भी लगातार इसको लेकर आम जानता से इसके चर्चा में शामिल होने का आग्रह करते हुए नजर आ रहे है. हालाकि जब जेपीसी में इसकी चर्चा शुरू हुई थी तब विधेयक की समीक्षा के दौरान कुछ सदस्यों ने बैलेट पेपर प्रणाली को पुनः लागू करने का प्रस्ताव रखा, लेकिन केंद्र सरकार ने स्पष्ट किया कि बैलेट पेपर पर वापसी का विचार समिति के दायरे में नहीं आता और वर्तमान में EVM प्रणाली ही जारी रहेगी.

2034 में ‘एक देश एक चुनाव’ का सपना होगा साकार!

2034 में ‘एक देश, एक चुनाव’ का सपना साकार हो सकता है, लेकिन इसके लिए केंद्र और राज्यों के बीच व्यापक सहमति, कानूनी संशोधन और मजबूत जनसमर्थन की आवश्यकता होगी. सरकार इस प्रक्रिया को सिर्फ राजनीतिक नहीं, बल्कि जन-संवाद और सुधार की प्रक्रिया के रूप में आगे ले जाना चाहती है. सबसे खास बात चुनाव आयोजित करने में खर्चे को लेकर है.

मिली जानकारी के मुताबिक, विगत लोकसभा चुनाव में कुल 1 लाख 35 हजार करोड़ रुपया खर्च हुआ था. इस हिसाब से प्रति वोट लगभग 1400 रुपया खर्च हुआ था. सभी राज्यों के अलग अलग विधानसभा चुनाव कराने और लोकसभा के चुनाव का खर्च लगभग 7 लाख करोड़ के आस पास होता है. जबकि यदि सभी चुनाव साथ साथ कराए जाएं तो 2 लाख करोड़ में सभी विधानसभा और लोकसभा चुनाव संपन्न हो जाएंगे, जिससे 5 लाख करोड़ की बचत होगी. इस पर तैयार किए गए बिल को लेकर बनाई गई संयुक्त संसदीय समिति की बैठक 22 अप्रैल होगी.

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