नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट को सोमवार को डीएमके नेता वी सेंथिल बालाजी के मंत्री पद से इस्तीफा देने की सूचना दी गई. कोर्ट को बताया गया कि सेंथिल बालाजी ने तमिलनाडु सरकार में मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया है और राज्यपाल ने उनका त्यागपत्र स्वीकार कर लिया है. वहीं, कोर्ट ने उनके जमानत को रद्द करने की मांग वाली याचिका का निपटारा कर दिया है. सेंथिल बालाजी ने कोर्ट के आदेश पर 26 अप्रैल को मंत्री पद से इस्तीफा दिया था.
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अभय एस ओका और जज ऑगस्टीन जॉर्ज मसीह की पीठ ने तमिलनाडु सरकार की ओर से अदालत में पेश राजभवन प्रेस विज्ञप्ति का संज्ञान लिया. इस बीच, शीर्ष अदालत ने मामले की सुनवाई पूरी होने तक बालाजी को मंत्री पद पर बने रहने से प्रतिबंधित करने के अनुरोध वाली प्रवर्तन निदेशालय (ED) की याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया.
पीठ ने कहा, ‘हमें एक प्रेस विज्ञप्ति सौंपी गई है, जिसमें लिखा है कि उन्होंने (बालाजी) इस्तीफा दे दिया है, जिसे राज्यपाल ने स्वीकार कर लिया है. इसलिए अब इस याचिका पर विचार करने का कोई मतलब नहीं है.’ सुप्रीम कोर्ट ने 23 अप्रैल को बालाजी को ‘पद और आजादी के बीच में से किसी एक को’ चुनने का विकल्प दिया था. साथ ही चेतावनी दी थी कि अगर उन्होंने मंत्री पद नहीं छोड़ा, तो उनकी जमानत रद्द कर दी जाएगी.
15 महीने जेल के बाद भी बनाया गया था मंत्री
सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई के दौरान ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि ‘नौकरी के लिए नकदी घोटाले’ से जुड़े धन शोधन मामले में जमानत मिलने के कुछ दिन बाद ही बालाजी को तमिलनाडु के कैबिनेट मंत्री के रूप में बहाल कर दिया गया था. अदालत ने 15 महीने से अधिक समय से जेल में बंद बालाजी को पिछले साल 26 सितंबर को यह कहते हुए जमानत दे दी थी कि मुकदमे के निकट भविष्य में निपटने की कोई संभावना नहीं है.
वहीं, इसके केवल तीन दिन बाद 29 सितंबर को बालाजी को फिर से तमिलनाडु सरकार में मंत्री बना दिया गया था. स्टेलिन सरकार की सिफारिस पर तमिलनाडु के राज्यपाल आरएन रवि ने बालाजी को मंत्री पद की शपथ दिलाई थी और उन्हें वही प्रमुख विभाग (बिजली, गैर-परंपरागत ऊर्जा विकास, निषेध एवं आबकारी) सौंपे गए थे, जो स्टालिन मंत्रिमंडल में पहले भी उनके पास थे.
बालाजी पर ED ने लगाया है भ्रष्टाचार का आरोप
बता दें कि, तमिलनाडु के करूर से विधायक बालाजी को 14 जून 2023 को ‘नौकरी के लिए नकदी घोटाले’ से जुड़े धन शोधन मामले में गिरफ्तार किया गया था. ईडी का आरोप है कि 2011 से 2015 के बीच पिछली अन्नाद्रमुक सरकार में परिवहन मंत्री के रूप में बालाजी के कार्यकाल के दौरान राज्य परिवहन विभाग में हुई भर्तियों में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार हुआ था. वहीं, अब कोर्ट ने जमानत रद्द करने की मांग वाली याचिका का निपटारा कर दिया है.