छह वर्षों में 100 जिलों में लागू होगी नई कृषि योजना, उत्पादन और किसानों की आय में होगा सुधार-
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने मंगलवार को ‘प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना’ को मंजूरी दे दी। इस योजना को प्रधानमंत्री ने किसानों के जीवन में बदलाव लाने वाला ऐतिहासिक कदम करार दिया है। योजना का उद्देश्य कृषि के क्षेत्र में पिछड़े जिलों में फसल उत्पादन को बढ़ावा देना और किसानों की आय में सुधार सुनिश्चित करना है।
2025-26 से छह वर्षों तक चलेगी योजना-
यह योजना वर्ष 2025-26 से आगामी छह वर्षों तक देश के 100 चयनित जिलों में लागू की जाएगी। प्रधानमंत्री ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X (पूर्व में ट्विटर) पर लिखा,
हम अपने किसान भाई-बहनों के जीवन में बड़ा परिवर्तन लाने के लिए संकल्पबद्ध हैं। इसी दिशा में आज प्रधानमंत्री धन-धान्य कृषि योजना को मंजूरी दी गई है। इससे कृषि क्षेत्र में पीछे रह गए जिलों में फसलों का उत्पादन बढ़ने के साथ ही अन्नदाताओं की आमदनी भी बढ़ेगी।https://t.co/C12sM6iIko
— Narendra Modi (@narendramodi) July 16, 2025
आकांक्षी जिलों पर रहेगा फोकस-
योजना का प्रारूप नीति आयोग के आकांक्षी जिला कार्यक्रम से प्रेरित है। यह देश की पहली केंद्रित योजना है जो विशेष रूप से कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों पर केंद्रित है। इसका उद्देश्य निम्नलिखित प्रमुख पहलुओं पर केंद्रित रहेगा:
- कृषि उत्पादकता में वृद्धि
- फसल विविधीकरण
- टिकाऊ खेती को प्रोत्साहन
- फसल कटाई के बाद भंडारण की क्षमता बढ़ाना
- सिंचाई सुविधाओं में सुधार
- किसानों के लिए ऋण सुलभ कराना
जिला चयन के मानदंड तय-
योजना के अंतर्गत शामिल किए जाने वाले 100 जिलों की पहचान तीन मुख्य मानदंडों के आधार पर की जाएगी:
- कम कृषि उत्पादकता
- कम फसल सघनता
- सीमित कृषि ऋण वितरण
इसके अलावा, प्रत्येक राज्य और केंद्रशासित प्रदेश से कम से कम एक जिला योजना में शामिल किया जाएगा। जिला चयन का विश्लेषण शुद्ध फसल क्षेत्र और परिचालन जोत के अनुपात के आधार पर किया जाएगा।
11 विभागों और निजी क्षेत्र की भागीदारी-
योजना के क्रियान्वयन के लिए केंद्र सरकार 11 विभागों की 36 मौजूदा योजनाओं का समावेश करेगी। साथ ही, राज्य सरकारों की संबंधित योजनाएं और निजी क्षेत्र की भागीदारी भी इसमें शामिल की जाएगी। सरकार का मानना है कि यह समन्वित प्रयास स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसर बढ़ाएगा और कृषि मूल्य श्रृंखला को मजबूत करेगा।
आत्मनिर्भर भारत की ओर एक कदम-
सरकार को उम्मीद है कि यह योजना न केवल चयनित जिलों में विकास संकेतकों में सुधार लाएगी, बल्कि देश को खाद्य आत्मनिर्भरता की ओर भी अग्रसर करेगी। इसके माध्यम से कृषि और संबद्ध क्षेत्रों में स्थायी सुधार और समग्र ग्रामीण विकास को गति मिलेगी।