पहलगाम हमले के बाद भारत की जवाबी कार्रवाई का डर पाकिस्तान की फौज और नेताओं में ही नहीं, बल्कि वहां के मौलानाओं में भी दिखने लगा है. पाक मुफ्ती तारिक मसूद कराची से धार्मिक विद्वानों के एक प्रतिनिधिमंडल के साथ वाघा बॉर्डर पहुंचे, जहां उन्होंने मीडिया से पहलगाम हमले और भारत के साथ तनाव पर बात की.
मुफ़्ती तारिक मसूद ने कहा, “पहलगाम की घटना में निर्दोष लोगों की हत्या शामिल है और हम इसकी कड़ी निंदा करते हैं.” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पहलगाम की घटना में पाकिस्तान का कोई हाथ नहीं था और साफ किया कि उनकी लड़ाई भारत के लोगों के साथ नहीं बल्कि वहां सरकार के साथ है. मुफ्ती ने भी पाक सरकार की तरह ही पहलगाम हमले से अपने देश का पल्ला झाड़ा.
सेना के साथ एकजुटता दिखाने आए वाघा
मुफ्ती तारिक मसूद भारत से तनाव के बीच सेना के साथ एकजुटता दिखाने के लिए वाघा बोर्ड पहुंचे थे. सेना के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा, “मैं कराची से आया हूं और मैं पाकिस्तानी सेना के साथ मजबूती से खड़ा हूं. मोदी युद्ध की धमकियां दे रहे हैं और पाकिस्तान के खिलाफ़ झूठे आरोप लगा रहे हैं.”
तीसरे देश से लगाई मदद की गुहार
पाकिस्तान के मुफ्ती भी भारत से बचने के लिए दर-दर भटक रहे हैं. मुफ्ती तारिक मसूद ने भी यही कहा कि बढ़ते तनाव को कम करने में मदद के लिए किसी तीसरे देश को भारत और पाकिस्तान के बीच मध्यस्थता करनी चाहिए. उन्होंने कहा, “हम युद्ध नहीं चाहते हैं, लेकिन अगर भारत इसके लिए इतने उत्सुक हैं, तो उनका स्वागत है.”
तारिक मसूद से पहले प्रसिद्ध इस्लामी विद्वान मुफ़्ती अब्दुल रहीम भी पाकिस्तान का बचाव कर चुके हैं. उन्होंने भी पाकिस्तान के खिलाफ भारत के आरोपों को निराधार बताया था. साथ ही पहलगाम घटना की निंदा करते हुए कहा था कि इस्लाम कभी भी निर्दोष लोगों की हत्या की अनुमति नहीं देता है.
पहलगाम हमला
22 अप्रैल को कुछ आतंकियों ने कश्मीर घाटी के पहलगाम में पर्यटकों पर हमला कर दिया था. जिसमें 26 लोगों की जान गई थी और कई घायल हुए थे. इस कायराना हमले के बाद से भारत में तनाव का माहौल है. इस पहले के पीछे पाकिस्तान का हाथ बताया जा रहा है, जिसके बाद दोनों देशों में जंग के आसार बढ़ गए हैं.