लखनऊ: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 जैसे-जैसे नजदीक आ रहे हैं, एनडीए ने अपनी चुनावी बिसात बिछानी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में उत्तर प्रदेश के कैबिनेट मंत्री और सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (SBSP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष ओम प्रकाश राजभर ने बिहार में अपनी पार्टी की हिस्सेदारी का दावा ठोक दिया है। ओपी राजभर ने साफ किया है कि उनकी पार्टी बिहार में एनडीए (NDA) गठबंधन के साथ मिलकर 29 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है।
सुभासपा मुखिया ओपी राजभर ने दावा किया है कि सुभासपा बिहार की 156 सीटों पर जनसंपर्क और संगठन के जरिए अभियान चला रही है, जबकि 29 विधानसभा सीटों पर पार्टी ने जमीनी स्तर पर पूरी तैयारी कर ली है। ओम राजभर ने कहा कि बिहार चुनाव को लेकर हमारी पार्टी पूरी तैयारी में है। NDA गठबंधन की बैठक जल्द ही होने वाली है और हम मिलकर चुनाव लड़ेंगे। वहीं सूत्रों की माने तो इन सीटों की सूची सुभासपा ने बीजेपी नेतृत्व को सौंप दी है और एनडीए गठबंधन की बैठक में इस पर औपचारिक निर्णय लिया जाएगा।
बिहार के किन जिलों पर नजर है सुभासपा की?
सुभासपा का फोकस ओबीसी, अति पिछड़े और वंचित वर्गों पर है। यही कारण है कि पार्टी ने जिन 28 जिलों में सीटें चिन्हित की हैं। वे सामाजिक दृष्टि से पिछड़े और राजभर-भर समुदाय की उपस्थिति वाले इलाके हैं। सुभासपा ने जिन जिलों में अपने संगठन को मजबूत किया है। इनमें गया, जहानाबाद, नवादा, कटिहार, बक्सर, औरंगाबाद, नालंदा, पूर्वी-पश्चिमी चंपारण और बेतिया प्रमुख हैं। ये इलाके सामाजिक दृष्टि से बेहद संवेदनशील माने जाते हैं, जहां पिछड़े वर्गों की जनसंख्या निर्णायक भूमिका निभा सकती है।
अमित शाह से मुलाकात के बाद सियासी संकेत साफ
बताते चले कि बीते दिनों दिल्ली में गृहमंत्री अमित शाह से सुभासपा मुखिया और कैबिनेट मंत्री ओपी राजभर की मुलाकात को भी इस राजनीतिक दावे से जोड़ा जा रहा है। इस मुलाकात के दौरान बिहार चुनाव को लेकर सुभासपा की भागीदारी और सीटों की मांग पर बातचीत हुई थी। इसके बाद राजभर ने सार्वजनिक तौर पर NDA के साथ गठबंधन और 29 सीटों की मांग का एलान किया है।
यूपी और लोकसभा 2029 पर असर तय
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि सुभासपा की बिहार में एंट्री केवल एक राज्य की रणनीति नहीं है, बल्कि इसका असर 2027 के यूपी विधानसभा चुनाव और 2029 के लोकसभा चुनाव तक पहुंचेगा। अगर राजभर बिहार में सफल प्रदर्शन करते हैं तो वह यूपी में भी भाजपा के साथ सीटों को लेकर नई सौदेबाजी की स्थिति में होंगे। सुभासपा की चुनावी सक्रियता उन विपक्षी दलों के लिए भी चुनौती बन सकती है जो पिछड़ी जातियों को एकजुट करने की कोशिश में लगे हैं, खासतौर पर राजद और ‘जन सुराज’ जैसे नए उभरते दल।
बिहार चुनाव के क्या है मायने
बिहार चुनाव 2025 भविष्य की परीक्षा है। एनडीए की स्थिरता, महागठबंधन के लोकलुभावन वादे और जन सुराज का सुधारवादी दृष्टिकोण टकराएंगे। ऐतिहासिक रुझान बताते हैं कि जातिगत गठजोड़ और रणनीतिक गठबंधन मतदाताओं को प्रभावित करते हैं, लेकिन नौकरी और बुनियादी ढांचे की मांग बदलाव का संकेत देती है।
इस चुनाव का असर 2029 के लोकसभा चुनावों तक जाएगा। एनडीए की जीत बीजेपी और नीतीश की प्रासंगिकता को मजबूत करेगी, जबकि महागठबंधन की जीत इंडिया गठबंधन को बल देगी। बिहार के 13.07 करोड़ लोग इस मतपत्र से तय करेंगे कि वे स्थिरता चाहते हैं या नई दिशा।