ब्रान का खुलेआम नेपाल भेजा जाना सुरक्षा तंत्र की विफलता को कर रहा उजागर-
नौतनवा तहसील के सामने से ब्रान लदी पिकअप बिना किसी डर के पार होते तस्कर-
नौतनवा/महराजगंज (मंदीप लाल यादव)। भारत-नेपाल सीमा से ब्रान (धान के छिलके निकले अपशिष्ट) की तस्करी धड़ल्ले से की जा रही है, जबकि पुलिस, एसएसबी और कस्टम विभाग इस गंभीर मामले पर चुप्पी साधे हुए हैं। सोनौली थाना क्षेत्र के हरदीडाली, खनुआ तथा नौतनवा थाना क्षेत्र के सुंडी, आराजी सरकार उर्फ बैरियहवा व बोगडी घाट से प्रतिदिन 100 से 200 पिकअप ब्रान नेपाल भेजा जाना सुरक्षा एजेंसियों की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़ा कर रहा है।
नेपाल में बढ़ी मांग, तस्करों को खुला अवसर-
ब्रान का नेपाल में चारे और तेल निर्माण के लिए व्यापक उपयोग होता है। विशेष रूप से सुअर पालन, मुर्गी पालन और मत्स्य पालन में इसकी भारी मांग है। भारत सरकार द्वारा ब्रान के नेपाल निर्यात पर प्रतिबंध लगाए जाने के बावजूद तस्कर इसे आर्थिक अवसर के रूप में देख रहे हैं और सीमावर्ती गांवों से रोजाना सैकड़ों क्विंटल ब्रान नेपाल पहुंचा रहे हैं।
तस्करी के रास्ते तय, प्रशासन मौन-
ये तस्कर इतने निडर और बेख़ौफ़ है इन्हें प्रशासन का कोई डर नहीं है खुलेआम नौतनवा तहसील के सामने से बिना किसी डर के ये पार होते है, तस्कर तय रास्तो से बैखौफ बिना किसी डर के पिकअप से ब्रान को सीमावर्ती गाँवो में पहुचाते है। इस पूरे नेटवर्क में स्थानीय स्तर पर मजबूत गठजोड़ की आशंका जताई जा रही है, जहां प्रशासनिक निगरानी या तो निष्क्रिय है या मिलीभगत की ओर इशारा करती है।
औपचारिक कार्रवाई सिर्फ दिखावा?-
एसएसबी, पुलिस और कस्टम विभाग की ओर से कभी-कभार छिटपुट जब्ती और कार्रवाई की जाती है, जिसे मीडिया में प्रचारित कर ‘काम हो रहा है’ का संदेश देने की कोशिश होती है। पर हकीकत यह है कि तस्करी का सिलसिला लगातार और व्यवस्थित ढंग से चल रहा है। इससे स्पष्ट है कि असली नेटवर्क पर कार्रवाई नहीं हो रही है।
ब्रान तस्करी का यह नेटवर्क केवल कानून व्यवस्था के लिए चुनौती नहीं, बल्कि यह दर्शाता है कि सीमावर्ती क्षेत्रों में तस्करी का अवैध कारोबार किस हद तक फैला हुआ है। अब देखना यह है कि प्रशासन और सुरक्षा एजेंसियां इस पर अंकुश लगाने के लिए कितनी गंभीरता दिखाती हैं।