डॉक्टरों की बड़ी लापरवाही आई सामने, चूहों के काटने से 2 नवजातों की मौत, CM ने कहा- दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा

भोपाल : इंदौर के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल, महाराजा यशवंतराव (एमवाय) अस्पताल में हुई एक दर्दनाक और चौंकाने वाली घटना ने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया है। अस्पताल के नवजात गहन चिकित्सा इकाई (एनआईसीयू) में भर्ती दो नवजात शिशुओं की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। आरोप है कि दोनों शिशुओं को चूहों ने काट लिया, जिसके बाद उनकी मौत हो गई। यह घटनाएं मंगलवार और बुधवार को सामने आईं।

परिजनों का आरोप, अस्पताल की लापरवाही
मृत शिशुओं के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर लापरवाही का आरोप लगाया है। उनका कहना है कि एनआईसीयू जैसी संवेदनशील जगह पर चूहों का होना बेहद खतरनाक है और यही बच्चों की मौत की वजह बना। घटना के सोशल मीडिया पर वायरल होते ही लोगों में आक्रोश फैल गया। मामला तूल पकड़ने के बाद सरकार और स्वास्थ्य विभाग हरकत में आ गए।

अस्पताल प्रशासन का बचाव
एमवाय अस्पताल के अधीक्षक डॉ. अशोक यादव ने सफाई दी कि दोनों नवजात पहले से ही गंभीर बीमारियों से पीड़ित थे और उनकी शारीरिक स्थिति बेहद कमजोर थी। अधीक्षक ने कहा कि बच्चों की मौत का कारण चूहों के काटने से नहीं, बल्कि जन्मजात जटिलताएं और ब्लड इंफेक्शन रहा। हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि एनआईसीयू में चूहों की समस्या है। इसी के चलते अस्पताल प्रशासन ने संबंधित पेस्ट कंट्रोल एजेंसी पर ₹1 लाख का जुर्माना लगाया है और नर्सिंग स्टाफ पर भी कार्रवाई की गई है।

मानवाधिकार आयोग ने लिया संज्ञान
मामले की गंभीरता को देखते हुए मध्य प्रदेश मानवाधिकार आयोग ने अस्पताल प्रबंधन को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। आयोग ने यह भी पूछा है कि अस्पताल जैसी महत्वपूर्ण जगह पर चूहों की रोकथाम के लिए पर्याप्त इंतजाम क्यों नहीं किए गए। घटना के बाद मुख्यमंत्री मोहन यादव स्वयं इंदौर पहुंचे और एमवाय अस्पताल में अधिकारियों के साथ बैठक की। उन्होंने कहा कि इस तरह की लापरवाही किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएगी। मुख्यमंत्री ने दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए और इंदौर कलेक्टर व स्वास्थ्य सचिव को उच्च स्तरीय जांच के आदेश दिए।

कलेक्टर और विधायक ने किया निरीक्षण
इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह और स्थानीय विधायक गोलू शुक्ला ने अस्पताल पहुंचकर एनआईसीयू का निरीक्षण किया। कलेक्टर ने कहा कि दोनों नवजात धार और देवास से गंभीर स्थिति में लाए गए थे और उनकी मौत का कारण जन्मजात बीमारियां हैं, न कि चूहों का काटना। हालांकि उन्होंने यह भी माना कि अस्पताल परिसर में चूहों की समस्या चिंता का विषय है। इसके लिए विशेष पेस्ट कंट्रोल व्यवस्था लागू की जाएगी और नियमित निगरानी की जाएगी।

तीन सदस्यीय जांच समिति गठित
मामले की जांच के लिए तीन सदस्यीय समिति बनाई गई है, जो पूरी घटना की विस्तृत रिपोर्ट पेश करेगी। इसके साथ ही, स्वास्थ्य विभाग ने भी अस्पताल प्रबंधन से पूरी रिपोर्ट मांगी है और सभी संबंधितों पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं। घटना के बाद स्थानीय लोगों और मृत शिशुओं के परिजनों में गहरा आक्रोश है। लोगों का कहना है कि अगर एमवाय जैसा बड़ा सरकारी अस्पताल भी बुनियादी साफ-सफाई और सुरक्षा का ध्यान नहीं रख सकता, तो आम लोगों का स्वास्थ्य कैसे सुरक्षित रहेगा।

सवालों के घेरे में स्वास्थ्य सेवाएं
चाहे मौत का कारण जन्मजात बीमारियां रही हों या चूहों का काटना, लेकिन एक सरकारी अस्पताल के एनआईसीयू में चूहों की मौजूदगी अपने आप में स्वास्थ्य सेवाओं की भयावह स्थिति को दर्शाती है। यह घटना न सिर्फ अस्पताल प्रशासन, बल्कि सरकार की प्राथमिकताओं और निगरानी प्रणाली पर भी गंभीर सवाल खड़े करती है। सरकार और प्रशासन ने जांच और कार्रवाई के आश्वासन तो दिए हैं, लेकिन यह घटना इस बात का कड़ा संकेत है कि स्वास्थ्य सेवाओं में लापरवाही किसी भी स्तर पर जानलेवा साबित हो सकती है।

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