नई दिल्ली: बेल्जियम की एक अदालत ने भगोड़े हीरा कारोबारी और पंजाब नेशनल बैंक (पीएनबी) घोटाले के आरोपी मेहुल चोकसी को भारत प्रत्यर्पित करने की अनुमति दे दी है। अदालत ने अपने फैसले में कहा कि चोकसी की प्रत्यर्पण प्रक्रिया में कोई कानूनी बाधा नहीं है और उसे भारत भेजने पर कोई आपत्ति नहीं है। कोर्ट का यह फैसला 13,500 करोड़ के पीएनबी घोटाले से जुड़े मामले में भारत की एक बड़ी कानूनी जीत माना जा रहा है। अदालत ने अप्रैल में बेल्जियम अधिकारियों द्वारा की गई चोकसी की गिरफ्तारी को भी वैध ठहराया, जिससे भारत को उसे वापस लाने की दिशा में बड़ी सफलता मिली है।
अदालत ने कहा कि मेहुल चोकसी बेल्जियम का नागरिक नहीं बल्कि एक विदेशी नागरिक है और उस पर लगे आरोप इतने गंभीर हैं कि उसके प्रत्यर्पण को उचित ठहराया जा सकता है। भारत द्वारा लगाए गए आरोप धोखाधड़ी, जालसाजी, दस्तावेजों में हेराफेरी और भ्रष्टाचार बेल्जियम के कानून के तहत भी अपराध माने जाते हैं।
भारतीय कानून के तहत चोकसी पर आईपीसी की धाराएं 120बी (आपराधिक साजिश), 201 (सबूत नष्ट करना), 409 (आपराधिक विश्वासघात), 420 (धोखाधड़ी), और 477ए (हिसाब-किताब में हेराफेरी) लगाई गई हैं। इसके अलावा भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराएं भी शामिल हैं, जिनमें एक वर्ष से अधिक की सजा का प्रावधान है।
अदालत ने यह भी माना कि मेहुल चोकसी की भूमिका एक आपराधिक गिरोह में शामिल होने, धोखाधड़ी करने, भ्रष्टाचार में लिप्त रहने और जाली दस्तावेजों का उपयोग करने जैसी गतिविधियों में रही हो सकती है। जो बेल्जियम दंड संहिता की कई धाराओं के अंतर्गत गंभीर अपराध हैं।
हालांकि अदालत ने स्पष्ट किया कि भारत के एक आरोप सबूत नष्ट करने (धारा 201) को बेल्जियम कानून में अपराध नहीं माना जाता, इसलिए इस विशेष आरोप पर प्रत्यर्पण नहीं हो सकता।
अदालत ने चोकसी के तर्क खारिज किए
मेहुल चोकसी ने अदालत में दावा किया था कि उसे एंटीगुआ से अपहरण कर बेल्जियम लाया गया था और भारत में उसे राजनीतिक प्रताड़ना तथा अमानवीय व्यवहार का खतरा है। लेकिन अदालत ने कहा कि इन आरोपों का कोई ठोस प्रमाण नहीं है।
अदालत ने भारतीय सरकार द्वारा दी गई जानकारी के हवाले से बताया कि मेहुल चोकसी को मुंबई की आर्थर रोड जेल की बैरक नंबर 12 में रखा जाएगा, जहां 46 वर्ग मीटर का क्षेत्र, दो सेल और एक निजी शौचालय है। भारत ने आश्वासन दिया है कि उसे केवल चिकित्सकीय जरूरतों या अदालत में पेशी के लिए ही जेल से बाहर लाया जाएगा।
अदालत ने चोकसी द्वारा प्रस्तुत विशेषज्ञ रिपोर्टों और अंतरराष्ट्रीय दस्तावेजों को अप्रासंगिक बताते हुए कहा कि वे किसी भी व्यक्तिगत खतरे को साबित नहीं करते। इसके साथ ही अदालत ने चोकसी के इस तर्क को भी खारिज कर दिया कि भारत की न्यायपालिका स्वतंत्र नहीं है या मीडिया कवरेज से उसे निष्पक्ष सुनवाई नहीं मिलेगी। अदालत ने कहा कि बड़े वित्तीय घोटालों में जनसामान्य और मीडिया की रुचि स्वाभाविक है और इससे अभियुक्त के निष्पक्ष ट्रायल के अधिकार का उल्लंघन नहीं होता।






