भारत को जल्द मिले 5th जेनरेशन लड़ाकू विमान, इसके लिए है बड़ी तैयारी

नई दिल्ली: अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) भारत के 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान के लिए इंजन बनाने की दौड़ में शामिल होना चाहती है। जीई के चेयरमैन और सीईओ CEO) लैरी कल्प ने ET को दिए एक इंटरव्यू में यह बात कही। उन्होंने कहा कि भारत, जीई के लिए नागरिक और रक्षा दोनों तरह के एयरोस्पेस कारोबार के लिए बहुत महत्वपूर्ण बाजार है। लैरी कल्प ने कहा, ‘हम इसमें बहुत रुचि रखते हैं।’ इसके लिए उन्होंने स्वदेशी तेजस विमान के लिए 404 इंजन बनाने का उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि भारत और अमेरिका के बीच बहुत मजबूत संबंध हैं। इसलिए जीई यहां है और हर संभव मदद करने के लिए तैयार है।

5वीं पीढ़ी के स्वदेशी लड़ाकू विमान पंख देने की तैयारी

पिछले महीने ही भारत ने 5वीं पीढ़ी के स्वदेशी लड़ाकू विमान को तेजी से बनाने की योजना का ऐलान किया था। यह घोषणा पाकिस्तान के खिलाफ चले ऑपरेशन सिंदूर के कुछ दिनों बाद आई थी। स्वाभाविक तौर पर इस विमान का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा, इसका शक्तिशाली इंजन होगा। इसे बनाने के लिए भारत किसी विदेशी कंपनी के साथ मिलकर काम कर सकता है। माना जा रहा है कि इस काम के लिए जीई को सफ्रान (Safran) और रॉल्स रॉयस (Rolls-Royce) जैसी कंपनियों से टक्कर मिलेगी।

तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमान के निर्माण में भी प्रगति

लैरी कल्प ने भारत में आगे और भी ज्यादा काम करने की इच्छा जताई है। जीई, हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (Hindustan Aeronautics Limited) को तेजस मार्क-1ए लड़ाकू विमान के लिए जेट इंजन की डिलीवरी भी बढ़ा रहा है। यह काम काफी समय से रुका हुआ है। मार्च में, जीई ने 99 एफ-404 इंजनों में से पहला इंजन एचएएल को दिया। यह डिलीवरी लगभग दो साल की देरी से हुई। कल्प ने कहा, ‘हमारा यही इरादा है और हमने यह बात सबको बता दी है।’ वे अपने सप्लायरों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, ताकि वे ज्यादा इंजन बना सकें। उन्होंने कहा कि इस मामले में अच्छी प्रगति हो रही है। उन्होंने अप्रैल और मई के महीनों में पहली तिमाही की तुलना में इंजन की डिलीवरी में अच्छी बढ़ोतरी देखी है।

मांग की वजह से कुछ समय के लिए सप्लाई चेन की समस्या

भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने हाल ही में जरूरी सैन्य उपकरणों की खरीद में देरी पर चिंता जताई थी और उन्होंने इसके लिए समय-सीमा निर्धारित करने पर जोर दिया था। दरअसल, सैन्य उपकरणों और फाइटर जेट की उपलब्धता में देरी हो रही है, क्योंकि कंपनियां उत्पादन नहीं बढ़ा पा रही हैं। इससे सशस्त्र सेना को अपनी तैयारी में मुश्किलें आती हैं। कल्प ने कहा कि इस समस्या को दूर करने के लिए कई कदम उठाए जा रहे हैं, लेकिन इसमें अभी समय लगेगा। उन्होंने कहा, ‘जीई में ही नहीं, बल्कि पूरे उद्योग में बहुत प्रगति हो रही है। उन्होंने कहा कि मांग हर साल बढ़ रही है, इसलिए सप्लाई चेन की समस्या अभी कुछ समय तक बनी रहेगी। यह एक बड़ी चुनौती है।

जीई कंपनी भारत में निवेश बढ़ाने में देख रही अच्छा मौका

जीई भारत में नागरिक विमानों के इंजन के लिए एक मरम्मत और रखरखाव (MRO) सुविधा भी स्थापित करना चाहता है। कल्प ने कहा कि यह सवाल ‘कब’ का है, ‘अगर’ का नहीं। वे यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि बाजार में इतना काम हो कि उस सुविधा में निवेश करना फायदेमंद हो। जीई के भारत में 1,400 से ज्यादा इंजन चल रहे हैं। ये इंजन छोटे और बड़े दोनों तरह के विमानों में लगे हैं। जीई को लगभग 2,500 और इंजनों का ऑर्डर मिला हुआ है। कल्प ने कहा कि इन आंकड़ों से पता चलता है कि भारत जीई के लिए एक महत्वपूर्ण देश है।

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