नई दिल्ली: भारत हाइपरसोनिक मिसाइल विष्णु के परीक्षण की तैयारी कर रहा है. यह दुनिया की घातक मिसाइलों में से एक होगी, जिसे न तो कोई रडार सिस्टम ट्रैक कर सकता और न ही एयर डिफेंस सिस्टम इसे रोक सकता है, मगर क्या आप जानते हैं कि दुनिया की सबसे खतरनाक हाइरपरसोनिक मिसाइल किसके पास है?
अगर आपका जवाब अमेरिका है तो आप गलत हैं, क्योंकि दुनिया की सबसे खतरनाक मिसाइल का नाम Avangard है जो रूस है पास है. आपको जानकर हैरानी होगी, लेकिन इस हाइपरसोनिक मिसाइल को रोकने की तकनीक अमेरिका के पास भी नहीं है. भारत जो मिसाइल बना रहा है, उससे अवांगड की स्पीड तकरीबन तीन गुना ज्यादा है. यह अपने साथ परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है.
कितनी खतरनाक है Avangard मिसाइल
यह एक हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल है जो ICBM (Intercontinental Ballistic Missile) है. इसकी स्पीड मैक 20-27 है, यानी 24 हजार से 33 हजार किमी प्रतिघंटा तक. रूस ने 2019 में इसे दुनिया के सामने पेश किया था जो अपने साथ परमाणु हथियार ले जाने में भी सक्षम है. अगर इसकी रेंज की बात करें तो यह 10 हजार किमी दूर तक मार कर सकती है. जो अपने साथ 2 मेगाटन तक न्यूक्लियर वॉरहेट ले जा सकती है. इसकी खासियत यह है कि यह किसी भी मौजूदा एंटी मिसाइल सिस्टम को चकमा दे सकती है. यह मेन्यूवरेबिलिटी सिस्टम से लैस है, जो लगातार दिशा बदल सकती है, इसीलिए इसे इंटरसेप्ट करना बहुत मुश्किल है.
विष्णु मिसाइल Vs अवांगार्ड मिसाइल (फोटो-AI)
कैसी होगी हमारी विष्णु मिसाइल
विष्णु मिसाइल एक मल्टी रोल हाइपरसोनिक ग्लाइड व्हीकल है. इसकी गति मैक-10 तक है यानी यह 10 से 12 हजार किमी प्रतिघंटा तक रफ्तार से मार कर सकती है. इसकी रेंज तकरीबन 5 हजार किमी तक होगी. इसका पूरा नाम व्हीकल फॉर इंटीग्रेटेड एंड स्ट्रेटजिक हाइपरसोनिक नेविगेशन एंड यूटिलिटी है.यह अपने साथ परमाणु हथियार भी ले जा सकती है. इसे जमीन, हवा और समुद्र तीनों से लांच किया जा सकता है. यह मिसाइल भी डिफेंस पेनिट्रेशन और एंटी मिसाइल सिस्टम को चकमा देने में सक्षम है.
भारत को क्या होगा फायदा?
भारत इस हाइपरसोनिक मिसाइल से एशिया में गेम चेंजर बन जाएगा और चीन और रूस की बराबरी में आ जाएगा. इससे भारत की परमाणु प्रतिरोधक क्षमता मका विकास होगा. यह पाकिस्तान की किसी भी मिसाइल प्रणाली से कहीं ज्यादा एडवांस होगी. हालांकि अभी यह सिर्फ डेवलपमेंट और परीक्षण के चरण में है. डीआरडीओ की योजना है कि इसे आने वाले वर्षों में जल्द से जल्द ऑपरेशनल बनाया जाए.
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