आंधी-बारिश, बिजली और ओलों ने कई राज्यों में तबाही मचाई है. उत्तर प्रदेश, बिहार और झारखंड में सबसे ज्यादा असर दिखा है. ओले और बिजली गिरने से करीब 52 लोगों की मौत हो गई है. इसमें बिहार के 25, यूपी के 22 और झारखंड के 5 लोग थे. यह साल की पहली ऐसी बारिश थी जिसके कारण इतनी मौते हुईं. अब दिल्ली-NCR में आंधी के साथ बारिश भी हुई है.
ऐसे में सवाल है कि आसमान में बिजली कैसे बनती है, बिना किसी वायर के जमीन तक कैसे पहुंच जाती है और बिजली से बचने के लिए कौन-कौन सी बातें ध्यान में रखें?
बादलों में कैसे बनती है बिजली?
आसमान में बिजली बनने और गिरने की प्रक्रिया नमीं वाली हवाओं से शुरू होती है. आकाशीय बिजली की नींव तब पड़ती है जब नमी और गर्म हवा जमीन से उठकर बादल तक पहुंचने लगती है. इस तरह बादलों में पानी के कण इकट्ठा हो जाते हैं. हवा चलने के कारण ये आवेशित हो जाते हैं. नतीजा कुछ बादलों पर पॉजिटिव चार्ज हो जाता है और कुछ पर निगेटिव. इस तरह जब पॉजिटिव और निगेटिव चार्ज वाले बादल टकराते हैं तो हजारों वोल्ट की बिजली बनती है. जो आकाशीय बिजली के रूप में दिखती है.
आसमानी बिजली जमीन तक कैसे पहुंच जाती है?
अब सवाल उठता है कि आसमान में बनने वाली बिजली बिना किसी वायर के जमीन तक कैसे पहुंच जाती है.जब बिजली गरजने वाले बादल के निचले हिस्से का चार्ज निगेटिव होता है तोधरती की सतह पर मौजूद पॉजिटिव चार्ज की ओर खिंच जाता है. ऐसा होने पर धरती पर बिजली गिरने की घटना होती है. मौसम वैज्ञानिक बारिश को लेकर भविष्यवाणी करते हैं, लेकिन सटीक तौर पर इसकी घोषणा नहीं कर पाते.
इसकी सटीक भविष्यवाणी करना मुश्किल होता है, लेकिन वैज्ञानिक मौसम की भविष्यवाणी करने वाले कम्प्यूटर मॉडल की एनालिसिस के आधार पर इसकी आशंका व्यक्त करते हैं. जिसमें गरज के साथ बारिश होने की बात बुलेटिन में शामिल की जाती है.
बिजली गरजने से पहले क्यों दिखती है चमक?
आकाशीय बिजली की घटना को देखेंगे तो पाएंगे कि बिजली की चमक हमें पहले नजर आती है और आवाज बाद में सुनाई देती है.ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्रकाश की गति ध्वनि यानी आवाज की गति से तेज होती है. प्रकाश की गति 30,0000 किमी. प्रति सेकंड होती है. वहीं, ध्वनि की गति 332 मीटर प्रति सेकंड है. इसलिए बिजली की चमक पहले और आवाज बाद में सुनाई देती है.
कहां बिजली गिरने का खतरा ज्यादा?
आकाशीय बिजली जब गिरती है, तो जान भी ले सकती है. इसका सबसे ज्यादा खतरा पेड़ों के नीचे खड़े होने वाले लोगों पर, खेत में काम करने वाले किसान और तालाब में नहाने वाले लोगों पर ज्यादा रहता है. इसलिए ऐसे हालत में इन जगहों पर जाने से बचें.
क्या करें, क्या न करें?
तूफान के हालात बनने पर सबसे पहले इलेक्ट्रॉनिक्स उपकरणों के प्लग निकाल दें. तारवाले टेलीफोन का इस्तेमाल करने से बचें. खिड़कियों और दरवाजों से दूर हरें. लोहे के पाइप को छूने से बचें. ऊंची इमारत में हैं तो लिफ्ट का इस्तेमाल न करें. बिजली चमकने पर घर में ही रहें. घर में रहना ही सबसे सेफ है.