Haryana: 88 ब्लॉकों में ‘गायब’ हो जाएगा पानी, सरकार ने दी चौंकाने वाली जानकारी

चंडीगढ़: देशभर के अलग-अलग राज्यों में जलवायु परिवर्तन और धरती के बढ़ते तापमान का असर भूजल पर देखने को मिल रहा है। इसके साथ ही खेती में भूजल (ग्राउंड वाटर) के बढ़ते उपयोग के कारण भूजल स्तर तेजी से घट रहा है। यही बात कल हरियाणा सरकार ने विधानसभा में स्वीकार किया कि भूजल की क्वालिटी खराब हो रही है। साथ ही अधिक इस्तेमाल और पानी की बर्बादी के कारण जल स्तर तेजी से नीचे जा रहा है।

पानी के संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए चौधरी ने ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ कार्यक्रम पर प्रकाश डाला, जो फसल विविधीकरण के लिए प्रति एकड़ 7,000 रुपये दिया जाता है। उन्होंने सदन को बताया कि इस योजना के तहत 2022-23 में 58,000 एकड़ और 2023-24 में 36,174 एकड़ को कवर किया गया।

11 विपक्षी विधायकों की ओर से उठाए गए भूजल क्वालिटी पर एक अल्पकालिक चर्चा के दौरान, रोहतक कांग्रेस विधायक बीबी बत्रा ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारत में हरियाणा में सबसे ज़्यादा ऐसे जिले हैं जहां बिजली से चलने वाले नलकूप तय सीमा से ज़्यादा हैं।उन्होंने कहा कि हरियाणा के जिन छह जिलों में सबसे अधिक दिक्कत है वो सिरसा, हिसार, भिवानी, सोनीपत, जींद और गुरुग्राम हैं।

भूजल संसाधन अनुमान (GWRE) 2024 रिपोर्ट के अनुसार, हरियाणा में 88 ब्लॉकों में पानी की गंभीर समस्या है, जिसका अर्थ है कि भूजल का इस्तेमाल वार्षिक उपलब्धता से अधिक है। इसके अतिरिक्त, 11 ब्लॉकों को गंभीर, आठ को अर्ध-गंभीर और 36 को सुरक्षित के रूप में रखा किया गया है।

पूर्व शिक्षा मंत्री गीता भुक्कल ने भूजल क्वालिटी के लिए अत्यधिक उर्वरक उपयोग को जिम्मेदार ठहराया। इसके जवाब में नूंह के कांग्रेस विधायक आफताब अहमद ने केंद्रीय भूजल बोर्ड (CGWB) की 2024 की रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि कई जिलों में भूजल में यूरेनियम, आर्सेनिक, क्लोराइड और फ्लोराइड अधिक है।

उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि दक्षिणी जिलों में खारा भूजल है। नूंह के पानी में अत्यधिक नमक पाया गया है. पानी न तो पीने योग्य है और न ही सिंचाई के लिए. वहीं, इसे पीने से कैंसर के मामले बढ़ रहे हैं ।चर्चा का जवाब देते हुए सिंचाई और जल संसाधन विभाग (आई एंड डब्ल्यूआरडी) मंत्री श्रुति चौधरी ने माना कि हरियाणा के भूजल और सीजीडब्ल्यूबी की रिपोर्ट लगातार पानी की क्वालिटी में गिरावट दिखाती है। उन्होंने कहा कि यह गिरावट दशकों से हो रही है। चौधरी ने बताया कि पानी में खारापन और जलभराव इसके कारण हैं।

उन्होंने कहा कि आई एंड डब्ल्यूआरडी ने 2018-19 में जल निकासी तकनीकों का उपयोग करके जलभराव को दूर करने का काम शुरू किया. हालांकि सुधार धीमा है, लेकिन इस बात की बहुत संभावना है कि इन प्रयासों से भूजल की क्वालिटी में सुधार हुआ है। 2018-19 से अब तक 108.78 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं और 26,110 एकड़ जमीन से सफलतापूर्वक जलभराव को दूर किया गया है। भूजल में कमी के बारे में उन्होंने कहा कि राज्य में भूजल स्तर, विशेष रूप से मीठे पानी वाले क्षेत्र में भारी उपयोग के कारण भूजल स्तर तेजी से घट रहा है, जो एक गंभीर समस्या है. जून 2014 से जून 2024 तक औसत गिरावट 5.41 मीटर है।

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