लालची लोगों ने रुकवाई थी Battle of Saragarhi की शूटिंग, रणदीप हुड्डा (Randeep Hooda) ने बयां किया दर्द

नई दिल्ली: अभिनेता रणदीप हुड्डा इन दिनों अपनी हालिया रिलीज फिल्म ‘जाट’ को लेकर चर्चा में हैं। फिल्म के प्रमोशन के दौरान अभिनेता ने अपने करियर के कुछ अनछुए पहलुओं पर बात की। रणदीप ने रणबीर द्वारा फिल्म हाईवे के प्रमोशन और अपनी फिल्म ‘बैटल ऑफ सारागढ़ी’ के बंद होने के बारे में भी खुलकर बात की।
हाईवे प्रमोशन से बाहर रखे जाने पर क्या बोले रणदीप हुड्डा?
शुभंकर मिश्रा के साथ उनके यूट्यूब पॉडकास्ट पर रणदीप हुड्डा ने इस बारे में बात की। उन्होंने बताया कि हाईवे के प्रमोशन से बाहर रखे जाने पर उन्हें बुरा लगा था। अभिनेता ने कहा, ‘ये पता नहीं क्यों हुई थी। इसका बुरा मुझे भी लगा था क्योंकि अगर उसे वक्त मुझे और सहारा मिलता तो शायद मेरा जीवन थोड़ा और आसान होता, करियर आसान हो जाता। मैंने भी वो देखा और मुझे भी समझ नहीं आया रणबीर कपूर का इस तस्वीर से क्या लेना देना। शायद वही से शादी शुरू हुई और मैं उन दोनों को मुबारकबाद देता हूं। इसे अगर उनका जीवन आपस में मिला तो मैं इसे बहुत खुश हूं।’
रणदीप ने आगे कहा, ‘मैं किसी भी प्रमोशन में नहीं था। आखिरी के दिनों में, शायद जब ट्रैक्शन नहीं पकड़ रहा था, मुझे भी लेके गए एक-दो जगह। शायद शुरू से उनकी रणनीति यही थी कि वो आलिया के आसपास (प्रचार) करेंगे और वो पिक्चर भी थोड़ी सी महिला शोषण पर थी तो शायद उसको आगे रखा था। जब पिक्चर लोगो तक पहुंची, उन्हें एहसास हुआ कि अगर महावीर भाटी ना हैं तो और वैसा रोल मैं ना करता तो शायद वो पिक्चर वैसी पकड़ती नहीं।’
लालची लोगों की वजह से बंद हुई फिल्म
रणदीप ने फिल्म ‘बैटल ऑफ सारागढ़ी’ के बारे में बात की। एक्टर ने बताया कि इस फिल्म के लिए उन्होंने तीन साल तक कड़ी मेहनत की। इस दौरान उन्होंने एक्सट्रैक्शन के सीक्वल जैसी हॉलीवुड फिल्मों के ऑफर भी ठुकरा दिए, लेकिन आखिर में कुछ लालची लोगों की वजह से फिल्म बंद हो गई।
रणदीप ने कहा, ‘हमारी फिल्म पहले शुरू हुई थी। फिर ‘केसरी’ बनने लगी, जो ठीक नहीं था। फिल्म का लगभग 30 से 40 प्रतिशत हिस्सा शूट हो चुका था, लेकिन कुछ लालची लोगों की वजह से यह प्रोजेक्ट रुक गया। उस फिल्म में मैं अकेला सिख था। बाकी कोई सिख नहीं था।’ अभिनेता ने बताया कि फिल्म के अचानक बंद हो जाने की वजह से उन्हें डिप्रेशन हो गया था। अभिनेता ने माना कि वह उनके करियर का सबसे मुश्किल दौर था।

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