तुर्किए की अर्थव्यवस्था इस वक्त भारी दबाव में है. इसके पीछे वजहें तो कई हैं मगर एक बड़ी वजहों में शामिल है देश के चालू खाता घाटे में तेजी से हो रही बढ़ोतरी. जनवरी से अप्रैल 2025 के बीच तुर्किए का चालू खाता घाटा 20.3 अरब डॉलर तक पहुंच गया है. इस स्थिति के लिए एक बड़ा कारण देश का तकिए के नीचे रखा गया सोना माना जा रहा है. जो सरकार की नजरों से दूर और बैंकों से बाहर है.
तुर्किए में एक परंपरा रही है जिसमें लोग सोना, खासकर जेवरात, घर में ही संभाल कर रखते हैं. इस चलन को under-the-pillow savings कहा जाता है. देश में जब भी आर्थिक अनिश्चितता आती है या सरकार लोगों से मदद की अपील करती है, तब नागरिक अपने इन निजी संग्रहों का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन आम दिनों में ये सोना बैंकों और सरकार दोनों की पहुंच से बाहर रहता है.
2665442 करोड़ रूपए बैंकों में जमा नहीं है
तुर्किए के केंद्रीय बैंक का अनुमान है कि देश के घरों में लगभग 311 अरब डॉलर (करीब 2665442 करोड़ रुपए) का फिजिकल गोल्ड मौजूद है, जो बैंकों में जमा नहीं है. ये रकम खुद केंद्रीय बैंक के गोल्ड रिजर्व से भी कई गुना ज्यादा है, जो अभी लगभग 86.5 अरब डॉलर है.
सोने में निवेश क्यों है इतना पसंद?
तुर्किए में सोने को सिर्फ एक गहना नहीं, बल्कि एक सुरक्षित निवेश माना जाता है. शादियों, धार्मिक अवसरों और पारिवारिक समारोहों में सोना देना-लेना आम चलन है. खास बात ये है कि 2023 में तुर्किए दुनिया में सोने के जेवरों की खपत में चौथे नंबर पर रहा, चीन, भारत और अमेरिका के बाद.
हालांकि पिछले कुछ सालों में जब देश की मुद्रा लीरा कमजोर हुई और महंगाई आसमान छूने लगी (2022 में महंगाई 85% तक पहुंची), तब लोगों ने सोना खरीदने का तरीका बदला. अब जेवरों से ज्यादा लोग सोने के सिक्के और बिस्कुट खरीदने लगे हैं क्योंकि ये निवेश के लिए ज्यादा मुफीद हैं.
बैंकों से दूरी और टैक्स का डर
एक और वजह है टैक्स से बचाव. तुर्किए में बैंक में जमा रकम पर टैक्स लगता है और बड़ी ट्रांजैक्शन की जानकारी सरकार तक पहुंचती है. इसके उलट घर में रखा गया सोना टैक्स से बचा रहता है. मार्च 2025 में जब सरकार ने बैंकों के जरिए सोने की खरीद पर 0.2% का टैक्स लगाया, तो और ज्यादा लोग औपचारिक सिस्टम से हटकर कैश या निजी जूलर्स से सोना खरीदने लगे.
अब तुर्किए सरकार ने 5,274 डॉलर से ज्यादा की जूलरी खरीद पर पहचान पत्र दिखाना अनिवार्य कर दिया है. साथ ही बिना सर्टिफिकेट वाले गोल्ड बार की बिक्री पर भी रोक लगा दी गई है, ताकि बिन रजिस्ट्रेशन सोने की खरीद-फरोख्त पर लगाम लगाई जा सके.
सरकार की पुरानी और नई कोशिशें
तुर्किए की सरकार पिछले कई दशकों से लोगों के इस छिपे खजाने को बाहर लाने की कोशिश कर रही है. 1980 के दशक में तत्कालीन प्रधानमंत्री तुर्गुत ओजाल ने लोगों को बैंक में सोना जमा करने के लिए प्रोत्साहित किया था. लेकिन इस प्लान को ज्यादा सफलता नहीं मिली क्योंकि लोग डरते थे कि उनका सोना अगर बेच दिया गया तो वापस कैसे मिलेगा.
2016 में राष्ट्रपति एर्दोआन ने भी लोगों से अपील की थी कि वे डॉलर और घर में रखा सोना बैंक में जमा कर दें ताकि देश की मुद्रा को मजबूती मिल सके. इसके बाद 2022 में सरकार ने ‘गोल्ड कन्वर्जन सिस्टम’ शुरू किया जिसमें लोग अपने सोने को सरकारी अधिकृत जूलर्स के जरिए बैंक में जमा कर सकते हैं. इससे सोना सुरक्षित तरीके से बैंकिंग सिस्टम में शामिल हो सकता है.
अब तक क्यों नहीं मिल रही सफलता?
आर्थिक जानकारों का कहना है कि सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद सोना बैंकिंग सिस्टम में नहीं आ पा रहा क्योंकि लोगों का बैंकिंग सिस्टम पर भरोसा कमजोर है. आर्थिक अस्थिरता, ब्याज दरों पर टैक्स, और बार-बार बदलती नीतियों की वजह से लोग अपना सोना अपने पास ही रखना ज्यादा सुरक्षित मानते हैं. असल में, ये अनऑफिशियल सोना तुर्किए की अर्थव्यवस्था का एक साइलेंट बैलेंस है. जब हालात बिगड़ते हैं, तो लोग इसी सोने को बेचकर अपनी जरूरतें पूरी करते हैं. और जब हालात सुधरते हैं, तो फिर से धीरे-धीरे सोना जमा कर लेते हैं वो भी बिना सरकार को खबर दिए.