बेखौफ चलेंगे नेत्रहीन! 10वीं के छात्र ने बनाया ‘जादुई जूता’, खुद पैदा करता है बिजली, कमाल के फीचर्स से लैस है ये ‘स्मार्ट शू’

सतना: जब किसी युवा के मन में समाज की सेवा का संकल्प जागता है तो वह सीमित संसाधनों के बावजूद भी ऐसी तकनीक विकसित कर सकता है जो ज़िंदगियां बदल दे। सतना जिला के अंतर्गत बगहा के दसवीं कक्षा के छात्र प्रभात गर्ग ने एक ऐसा ही अभिनव प्रयोग कर दिखाया है। उन्होंने एक स्मार्ट जूता तैयार किया है जो विशेष रूप से नेत्रहीनों के लिए तैयार किया गया है। और उनके लिए यह किसी वरदान से कम नहीं।

जूते में लगे हैं अल्ट्रासोनिक सेंसर

दरअसल, इस जूते में अल्ट्रासोनिक सेंसर लगाए गए हैं। जो रास्ते में आने वाली किसी भी अवरोध (जैसे दीवार, खंभा, या कोई वस्तु) को 15 सेंटीमीटर पहले ही पहचान लेते हैं। जैसे ही कोई रुकावट सामने आती है, जूता बीप साउंड और वाइब्रेशन के माध्यम से यूज़र को सतर्क कर देता है। इससे नेत्रहीन व्यक्ति समय रहते दिशा बदल सकता है और दुर्घटना से बच सकता है।

बिजली खुद पैदा करता है ये स्मार्ट जूता

इस जूते को चार्ज करने की जरूरत नहीं है। प्रभात ने इसमें पीजोइलेक्ट्रिक प्लेट्स लगाई हैं। जो चलने के दबाव से ऊर्जा उत्पन्न करती हैं। यह ऊर्जा सुपर कैपेसिटर में स्टोर होती है और फिर ब्रिज रेक्टिफायर से होकर डीसी करंट में बदलकर जूते में लगे अर्दुइनो माइक्रोकंट्रोलर तक पहुंचती है। मतलब ये जूता पहनने से ही खुद-ब-खुद चार्ज होता रहता है।

बीप से परेशान तो मैनुअल कंट्रोल का भी ऑप्शन

प्रभात ने यह भी समझा कि कोई नेत्रहीन व्यक्ति यदि लगातार यात्रा कर रहा हो तो लगातार बीप साउंड उसे असहज कर सकता है। ऐसे में उन्होंने एक मैनुअल स्विच भी जोड़ा है, जिससे बीप साउंड को कुछ समय के लिए बंद किया जा सकता है।

प्रदर्शनी में मिला सम्मान

प्रभात का यह मॉडल सस्टेनेबल इनोवेशन एंड स्मार्ट नेविगेशन नाम से इंस्पायर अवार्ड 2025 की जिला स्तरीय प्रदर्शनी में प्रस्तुत हुआ है। प्रदर्शनी में इस मॉडल को राज्य स्तर के लिए चुना गया है।जहां और भी बड़े स्तर पर इसे प्रस्तुत किया जाएगा।

प्रभात के पिता है इलेक्ट्रिशियन

आपको बता दें कि प्रभात के पिता प्रशांत गर्ग एक इलेक्ट्रीशियन हैं। प्रभात बचपन से ही इलेक्ट्रॉनिक्स में रुचि रखते थे और पिता को काम करते देखकर उन्होंने सीखना शुरू किया है। उन्होंने कई बार नेत्रहीन लोगों को अकेले संघर्ष करते देखा है, जिससे उन्हें यह नवाचार करने की प्रेरणा मिली। अब प्रभात की इच्छा है कि उनका यह आविष्कार देश के हर नेत्रहीन व्यक्ति तक पहुंचे और वह स्वतंत्र रूप से सुरक्षित यात्रा कर सकें।

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