बीजिंग: चीन में रक्षा क्षेत्र में एक बार फिर हलचल हुई है। देश की नेवी के चीफ ऑफ स्टाफ और एक शीर्ष परमाणु वैज्ञानिक की संसद सदस्यता खत्म कर दी गई है। वाइस एडमिरल ली हानजुन और लियू शिपेंग को नेशनल पीपुल्स कांग्रेस (एनपीसी) से निष्कासित किया गया है। ली हानजुन पीपुल्स लिबरेशन आर्मी नेवी के चीफ ऑफ स्टाफ और लियू शिपेंग चाइना नेशनल न्यूक्लियर कॉर्पोरेशन में डिप्टी चीफ इंजीनियर के पद पर थे। एनपीसी की स्थायी समिति ने शुक्रवार को ली हानजुन और लियू शिपेंग को हटाने के फैसले की जानकारी दी है।
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट के अनुसार, ली हानजुन पीएलए जनरलों की लिस्ट में सबसे नया नाम हैं, जो चीन में सैन्य अफसरों पर बीते कुछ महीने से चल रही व्यापक कार्रवाई के दायरे में आए हैं। चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने बीते कुछ समय में रक्षा उद्योग के कई अधिकारियों, राजनेताओं और सैन्य अफसरों को उनके पदों से हटाया है। चीनी मीडिया का कहना है कि चीन के रक्षा उद्योग और सेना में फैले भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए ये कार्रवाई की जा रही है।
हटाने की वजह का खुलासा नहीं
एनपीसी की स्थायी समिति ने शुक्रवार को जारी अपने बयान में कहा, ‘नेवी सर्विसमेन कांग्रेस ने ली हानजुन को 14वीं नेशनल पीपुल्स कांग्रेस के प्रतिनिधि के पद से हटाने का फैसला किया है। साथ ही लियू शिपेंग को एनपीसी के डिप्टी के पद से हटा दिया है।’ चीन में आमतौर पर सेना में होने वालो बदलावों के पीछे की वजह नहीं बनाई जाती है लेकिन ली और लियू को एनपीसी की सदस्यता से हटाने से संकेत मिलता है कि उनके खिलाफ गंभीर आरोप हो सकते हैं।
स्थायी समिति ने कहा कि मियाओ हुआ को केंद्रीय सैन्य आयोग (सीएमसी) से हटाने के लिए मतदान हुआ है। मियाओ हुआ एक पूर्व शीर्ष जनरल हैं, जो पीएलए का विचारधारा संबंधी कामकाज देखते थे। सीएमसी चीन की शीर्ष सैन्य कमान है, जिसका नेतृत्व राष्ट्रपति शी जिनपिंग करते हैं। चीन में बीते कुछ महीनों में ना सिर्फ सैन्य अफसर बल्कि रक्षा मंत्री भी जिनपिंग की कार्रवाई की जद में आते रहे हैं। चीन में बीते कुछ महीनों में रक्षा मंत्रियों के सिर पर तलवार लटकती रही है।