लखनऊ: उत्तर प्रदेश पुलिस ने एक संगठित धर्मांतरण गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जिसके तार देश के छह राज्यों तक फैले हुए हैं। पुलिस महानिदेशक (DGP) राजीव कृष्ण ने शनिवार को मीडिया को बताया कि इस ऑपरेशन के तहत कुल 10 आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है, जो विभिन्न राज्यों में सक्रिय थे।
आगरा में दो बहनों की गुमशुदगी से शुरू हुई जांच
मार्च महीने में आगरा से 33 और 18 वर्ष की दो बहनों की गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। इसी के आधार पर जांच शुरू हुई और एक सुनियोजित धर्मांतरण अभियान का पता चला, जिसमें युवतियों को कथित तौर पर जबरन धर्म परिवर्तन के लिए प्रेरित किया गया। इनमें से एक युवती ने सोशल मीडिया पर हथियार के साथ अपनी तस्वीर साझा की थी, जिससे मामले को गंभीरता से लिया गया।
लव जिहाद और अंतरराष्ट्रीय फंडिंग के संकेत
पुलिस आयुक्त दीपक कुमार ने बताया कि प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ कि एक विशेष गिरोह इन युवतियों को ‘लव जिहाद’ के ज़रिए निशाना बना रहा था। इसके अलावा गिरोह को अमेरिका और कनाडा से फंडिंग के संकेत भी मिले हैं। यह गिरोह कथित तौर पर धर्मांतरण के लिए संरक्षित ठिकानों की व्यवस्था, कानूनी सलाह और आर्थिक सहायता जैसी गतिविधियों में लिप्त था।
छह राज्यों में फैला नेटवर्क
आगरा पुलिस ने पश्चिम बंगाल से दो, गोवा से एक, उत्तराखंड से एक, दिल्ली से एक, राजस्थान से तीन और उत्तर प्रदेश से दो आरोपियों को हिरासत में लिया है। इन सभी ने इस नेटवर्क में विभिन्न भूमिकाएं निभाई हैं, जिससे यह धर्मांतरण अभियान कई स्तरों पर संचालित किया जा रहा था।
एसटीएफ और एटीएस की संयुक्त कार्रवाई
मामले की गंभीरता को देखते हुए उत्तर प्रदेश की स्पेशल टास्क फोर्स (STF) और एंटी टेरर स्क्वॉड (ATS) को जांच में शामिल किया गया। यह कार्रवाई राज्य सरकार की “मिशन अस्मिता” पहल के तहत की गई, जिसका उद्देश्य ऐसे गिरोहों को बेनकाब करना है जो कथित तौर पर लव जिहाद, अवैध धर्मांतरण और चरमपंथी गतिविधियों के ज़रिए देश की सुरक्षा को चुनौती देते हैं।
मिशन अस्मिता का उद्देश्य
DGP राजीव कृष्ण ने बताया कि “मिशन अस्मिता” के तहत ऐसे अपराधियों को चिह्नित किया जाता है जो अंतरराष्ट्रीय फंडिंग के माध्यम से जिहादी नेटवर्क का पोषण करते हैं और युवाओं को कट्टरपंथ की ओर मोड़ते हैं। इस अभियान का लक्ष्य सामाजिक समरसता और राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करना है।