हिंसा भड़काने वाले उपायों से दूर रहे असम सरकार… जमाअत ने हथियार लाइसेंस जारी करने के फैसले पर जताई चिंता

 

नई दिल्ली: जमाअत-ए-इस्लामी हिंद के उपाध्यक्ष मलिक मोतसिम खान ने शुक्रवार को असम सरकार के ‘कमजोर’ क्षेत्रों में हथियार लाइसेंस जारी करने के फैसले पर गंभीर चिंता व्यक्त की है. जमाअत उपाध्यक्ष ने एक बयान में कहा, ‘हम असम कैबिनेट द्वारा कथित रूप से राज्य के असुरक्षित और दूरदराज क्षेत्रों में रहने वाले ‘मूल निवासियों और स्वदेशी भारतीय नागरिकों’ को हथियार लाइसेंस जारी करने के हालिया फैसले पर गंभीर चिंता व्यक्त करते हैं.

मोतसिम खान ने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत बिस्वा सरमा द्वारा घोषित यह नीति एक प्रतिगामी और खतरनाक कदम प्रतीत होती है, जो सामाजिक तनाव को बढ़ा सकती है और कानून के शासन को कमजोर कर सकती है. नागरिकों को चुनिंदा रूप से हथियार देने का निर्णय, ऐसी नीति के इरादे और निहितार्थ पर गंभीर प्रश्न उठाता है. उन्होंने इससेअल्पसंख्यक समुदायों को हाशिए पर डालने का आरोप लगाया है.

‘इस तरह के उपायों से भय का माहौल पैदा होता है’

जमाअत उपाध्यक्ष ने कहा, ‘इन क्षेत्रों को ‘असुरक्षित’ घोषित करना और चुनिंदा समूहों को शस्त्र लाइसेंस देकर सशक्त बनाना, अल्पसंख्यक समुदायों को हाशिए पर डालने और उन्हें डराने के उद्देश्य से प्रतीत होता है. ‘मूल निवासियों’ को परिभाषित करने के लिए असम सरकार के मानदंड अस्पष्ट बने हुए हैं, जिससे शस्त्र लाइसेंस जारी करने में मनमाने और भेदभावपूर्ण व्यवहार को बढ़ावा मिलने की संभावना है.’

उन्होंने आगे कहा, ‘इस कदम को असम सरकार की हालिया कार्रवाइयों के व्यापक संदर्भ में देखा जाना चाहिए, जिसमें बंगाली भाषी मुसलमानों को बिना उचित प्रक्रिया के ‘विदेशी’ करार देकर हिरासत में लेना और अल्पसंख्यक समुदायों को असंगत रूप से प्रभावित करने वाली नीतियों को लागू करना शामिल है.’ मोतसिम खानने कहा किइस तरह के उपायों से भय का माहौल पैदा होता है.

सरकार विभाजन को गहराने वाले उपाय न करे

मलिक मोतसिम खान ने कहा कि इससे पुलिस, BSF और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों की भूमिका कमजोर होती है. और क्षेत्र में दिन-प्रतिदिन हिंसा में बढोतरी हो सकती है. उन्होंने कहा जमात-ए-इस्लामी हिंद असम सरकार से आग्रह करती है कि वह इस अत्यधिक प्रतिगामी निर्णय को तत्काल वापस ले और सुरक्षा संबंधी चिंताओं को दूर करने के लिए सभी हितधारकों के साथ समावेशी वार्ता करे.

जमाअत की ओर से जारी बयान में असम सरकार से कहा गया है कि वो हिंसा भड़काने वाले या सामाजिक और सांप्रदायिक विभाजन को गहराने वाले उपाय न करे. हम नागरिक समाज संगठनों, मानवाधिकार निकायों और न्यायपालिका से इस निर्णय की जांच करने और यह सुनिश्चित करने का आह्वान करते हैं कि असम में सभी समुदायों के अधिकार और सुरक्षा सुरक्षित रहें.

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