नई दिल्ली: भारत और अमेरिका के बीच प्रस्तावित व्यापार समझौते से ठीक पहले टैरिफ को लेकर दोनों देशों के बीच विश्व व्यापार संगठन (WTO) में विवाद गहरा गया है। अमेरिका ने WTO को सूचित किया है कि भारत द्वारा स्टील, एल्यूमीनियम और ऑटोमोबाइल पर जवाबी शुल्क लगाने का कोई “कानूनी आधार” नहीं है।
अमेरिका ने सुरक्षा का दिया हवाला, भारत ने उठाया निर्यात पर प्रभाव का मुद्दा-
अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि उसके द्वारा लगाए गए टैरिफ राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े हैं और ये एक महत्वपूर्ण सुरक्षा छूट के तहत आते हैं। इसके जवाब में भारत ने स्पष्ट किया कि इन उपायों के कारण अमेरिका को उसके 7.6 अरब डॉलर के निर्यात पर प्रभाव पड़ेगा, जिससे 3.82 अरब डॉलर मूल्य का शुल्क अमेरिका द्वारा वसूला जाएगा।
भारत का यह भी कहना है कि अमेरिका के इन टैरिफ उपायों से 2.89 अरब डॉलर मूल्य के ऑटोमोबाइल उत्पादों का आयात भी प्रभावित हो रहा है।
2018 से जारी है टैरिफ विवाद-
वर्ष 2018 में अमेरिका ने स्टील और एल्यूमीनियम पर क्रमशः 25% और 10% टैरिफ लगाने की घोषणा की थी। 10 फरवरी 2025 को इन टैरिफ उपायों में आंशिक बदलाव किए गए, जो 12 मार्च से लागू हो गए। हालांकि, ऑटोमोबाइल पर 25% का टैक्स यथावत जारी रखा गया है।
अमेरिका ने भारत के जवाबी कदमों को बताया अवैध-
WTO में अमेरिका ने कहा कि भारत द्वारा इन टैरिफ के जवाब में व्यापार रियायतों या दायित्वों को निलंबित करने का कोई वैध अधिकार नहीं है। अमेरिका का तर्क है कि उसके टैरिफ पूरी तरह से राष्ट्रीय सुरक्षा के हित में लगाए गए हैं और WTO नियमों के तहत इन्हें चुनौती नहीं दी जा सकती।
व्यापार समझौते की राह में अड़चन-
भारत और अमेरिका के बीच लंबे समय से व्यापार समझौते को अंतिम रूप देने की बातचीत चल रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पहले ही संकेत दे चुके हैं कि यह डील जल्द हो सकती है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका भारत को 20% से कम टैरिफ दरें प्रस्तावित कर रहा है, लेकिन कृषि और डेयरी उत्पादों पर मतभेद के कारण समझौते में देरी हो रही है।