नई दिल्ली : बीजेपी नेता और महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नितेश राणे ने एक बार फिर विवादित बयान देकर सुर्खियां बटोरी हैं। एएनआई से बातचीत में नितेश राणे ने कहा कि “गोल टोपी और दाढ़ी वालों ने मुझे वोट नहीं दिया। मैं हिंदुओं के वोट से विधायक बना हूं। अगर मैं हिंदुओं का समर्थन नहीं करूंगा, तो क्या उर्दू बोलने वालों का समर्थन करूंगा?”
कणकवली के विधायक और पूर्व केंद्रीय मंत्री नारायण राणे के बेटे नितेश राणे ने कहा, “सभी मुस्लिम हरे सांप हैं, मुंबई का डीएनए हिंदू है। मैं हमेशा हिंदुओं का समर्थन करता रहूंगा।” नितेश राणे के बड़े भाई निलेश राणे शिवसेना के शिंदे गुट से विधायक हैं।
नितेश राणे ने आगे कहा, “हिंदुओं के तौर पर एक साथ आना समय की जरूरत है। अगर आप एक साथ आएंगे तो यह हिंदुत्व सरकार की जिम्मेदारी है, जिसे आपने विकास के लिए चुना है। मैं पहले हिंदू हूं, फिर विधायक और मंत्री। इसलिए अपने अस्तित्व को अपने तरीके से बनाए रखें।” उन्होंने यह भी कहा, “हम जैसे लोगों का कितना अपमान हुआ, हमारे नाम पर कितने लोगों ने नींबू काटे, इससे हमें कोई फर्क नहीं पड़ता।”
कांग्रेस का पलटवार
महाराष्ट्र में बीजेपी के मंत्री नितेश राणे द्वारा दिए गए विवादित बयान के बाद विपक्ष ने उन पर कड़ी आलोचना की है। कांग्रेस के विधायक नाना पटोले ने कहा कि नितेश राणे एक संवैधानिक पद पर आसीन हैं और उन्होंने संविधान की शपथ ली है। शपथ लेने के बाद वे मंत्री बने हैं, ऐसे में इस तरह के बयान देना और किसी एक धर्म के प्रति पक्षपातपूर्ण विचार रखना बेहद गलत है।
नाना पटोले ने कहा कि संवैधानिक पद पर रहते हुए सभी समुदायों और धर्मों का सम्मान करना जरूरी होता है। किसी भी धर्म विशेष के खिलाफ ऐसे बयान राजनीतिक और सामाजिक तौर पर अस्वीकार्य हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह के विवादित बयान समाज में दरारें पैदा कर सकते हैं और सभी को संवैधानिक मर्यादाओं का पालन करना चाहिए। वहीं, विपक्षी दलों की ओर से भी नितेश राणे के बयान को लेकर कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिली है, जिससे राजनीतिक माहौल गरमा गया है।
अबू आजमी भड़के
समाजवादी पार्टी के विधायक अबू आजमी ने नितेश राणे के बयान पर जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि उर्दू इस देश की भाषा है और अगर पुराने दस्तावेजों को देखा जाए तो जमीन के जितने भी कागजात हैं, वे सभी उर्दू में मिलेंगे। अबू आजमी ने बताया कि गांधी जी की हत्या की एफआईआर भी उर्दू में ही दर्ज की गई थी। उनका कहना है कि आजादी से पहले से ही उर्दू इस देश की भाषा रही है और यह भाषा यहीं से पैदा हुई है, यह बाहर से नहीं आई है।
अबू आजमी ने कहा, “नितेश राणे कौन होते हैं हमें बताने वाले? क्या मैं उनसे कहूं कि आप अपनी धार्मिक पुस्तक मराठी में पढ़ें, संस्कृत में पढ़ें या उसकी मूल भाषा में न पढ़ें? ये सब बातें सही नहीं होतीं। धर्म के बीच में दखल देना जरूरी नहीं होता।” अबू आजमी के इस बयान के बाद राजनीतिक बहस और तेज हो गई है, जहां वे धार्मिक और भाषाई मुद्दों पर अपने विचार स्पष्ट कर रहे हैं।
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