नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने देश के सबसे बड़े घोटाला में से एक माने जा रहे PACL घोटाले के मुख्य आरोपियों में से एक गुरनाम सिंह (69) को पंजाब के रूपनगर से गिरफ्तार किया है। गुरनाम सिंह PACL (पर्ल्स एग्रो-टेक कॉर्पोरेशन लिमिटेड) का डायरेक्टर है, जिस पर करीब 5 करोड़ लोगों से 49,000 करोड़ रुपये की ठगी का आरोप है।
10 राज्यों में फैला था जाल
PACL कंपनी ने लोगों को जमीन में निवेश और मोटे मुनाफे का झांसा देकर उनसे पैसा इकट्ठा किया। यह ठगी उत्तर प्रदेश, असम, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, केरल, बिहार और छत्तीसगढ़ सहित कई राज्यों में फैली हुई थी।
सीबीआई और ईडी पहले से जांच में
इस मामले की जांच पहले से ही CBI और प्रवर्तन निदेशालय (ED) कर रहे हैं। निवेशकों की शिकायतों और SEBI की जांच के बाद कानपुर के EOW थाने में भी केस दर्ज हुआ था। इस एफआईआर (मामला संख्या 1/18) में गुरनाम सिंह समेत 10 लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिनमें से चार पहले से जेल में हैं।
PACL की शुरुआत और घोटाले का तरीका
PACL की शुरुआत 1996 में जयपुर में गुरुवंत एग्रो-टेक के नाम से हुई थी, जिसे 2011 में PACL नाम दिया गया। कंपनी ने बिना किसी वैध NBFC लाइसेंस के निवेश जुटाना शुरू कर दिया। UP में इस कंपनी ने महोबा, सुल्तानपुर, फर्रुखाबाद और जालौन में अपनी शाखाएं खोलीं और किस्तों या फिक्स्ड डिपॉजिट स्कीम के नाम पर लोगों से पैसे लिए। बदले में उन्हें केवल बांड की रसीदें दी गईं, न तो जमीन दी गई और न ही कोई मुनाफा।
पोंजी स्कीम की तरह चल रहा था घोटाला
EOW की प्रमुख नीरा रावत के अनुसार, यह स्कीम पूरी तरह से पोंजी स्कीम की तरह चलाई जा रही थी। एजेंटों को अच्छा कमीशन दिया जाता था, जिससे वे अपने रिश्तेदारों और जान-पहचान वालों को भी जोड़ लेते थे। कंपनी ने सेमिनार और प्रचार के जरिए लोगों को फंसाया।
ED की जांच और संपत्ति खरीद का खुलासा
ED की जांच में सामने आया कि PACL ने निवेशकों के पैसे को शेल कंपनियों और सहयोगी फर्मों में घुमाया। इनमें MDB हाउसिंग कॉम्प्लेक्स जैसी कंपनियाँ शामिल हैं, जिन्हें PACL के फाउंडर निर्मल सिंह भंगू के दामाद हरसतिंदर पाल सिंह हायर चला रहे थे। ED ने 21 मार्च को हायर को गिरफ्तार किया था। जांच में यह भी सामने आया कि उन्होंने इन पैसों से मुंबई, पंजाब और हरियाणा में संपत्तियाँ खरीदीं और उन्हें वैध दिखाने की कोशिश की।
घोटाले की शुरुआत कैसे हुई?
घोटाले की शुरुआत निर्मल सिंह भंगू ने की थी, जो पंजाब के बरनाला का रहने वाला था और दूध का व्यवसाय करता था। वह पहले गोल्डन फॉरेस्ट इंडिया लिमिटेड जैसी कंपनी में काम करता था और वहीं से उसने जमीन निवेश की स्कीमें शुरू कीं। लेकिन असल में यह पूरी योजना लोगों को ठगने के लिए बनाई गई थी।
उत्तर प्रदेश में सबसे ज्यादा नुकसान
EOW के अनुसार, केवल यूपी में ही करीब 50 लाख लोग इस घोटाले से प्रभावित हुए हैं। यहां से ही कंपनी ने 19,000 करोड़ रुपये से अधिक इकट्ठा किए।
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