पुणे: जिले में ‘मुख्यमंत्री माझी लाडकी बहिन योजना’ के तहत 75 हजार से ज्यादा ऐसी महिलाओं की पहचान हुई है, जो चार पहिया वाहन की मालिक हैं. इन महिलाओं को पहले लाभार्थी के रूप में शामिल किया गया था लेकिन अब सरकार ने इनकी पात्रता की दोबारा जांच शुरू कर दी है. इस बड़े पैमाने पर सामने आए संभावित अपात्र लाभार्थियों की संख्या ने योजना की शुरुआती स्क्रीनिंग प्रक्रिया पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.
मुंबई स्थित मंत्रालय बिल्डिंग में योजना की निगरानी के लिए बनाए गए स्पेशल सेल के अधिकारियों के अनुसार, राज्य परिवहन विभाग (आरटीओ) ने पुणे जिला परिषद को दो सूचियां सौंपी हैं. पहली लिस्ट में 58 हजार 350 महिलाओं के नाम हैं. दूसरी सूची में 16 हजार 750 नाम. इन सभी महिलाओं के नाम पर चार पहिया वाहन रजिस्टर्ड हैं. ये लिस्ट ग्राउंड जीरो पर रिकन्फर्मेशन के लिए आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को भेजी गई हैं.
पुणे जिले में 20.8 लाख लाभार्थी महिलाएं
पुणे जिले में ‘लाडकी बहिन योजना’ के तहत कुल 20.8 लाख महिलाएं लाभार्थी हैं, जो पूरे महाराष्ट्र में सबसे अधिक हैं. फील्ड जांच के दौरान सामने आया कि इनमें से लगभग 58 हजार महिलाएं सच में चार पहिया वाहन की मालिक हैं. 17 हजार मामलों की आधार कार्ड के माध्यम से पुष्टि की जा रही है. यह प्रक्रिया अभी भी जारी है. ताकि बाकी नामों का क्रॉस-वेरिफिकेशन किया जा सके.
21 लाख से ज्यादा आवेदन
इस योजना की शुरुआत चुनाव के दौरान हुई थी. उस समय लगभग सभी आवेदकों को लाभ दिया गया था लेकिन चुनाव के बाद सरकार ने स्पष्ट किया कि केवल पात्र महिलाओं को ही योजना का फायदा मिलेगा. पुणे जिले में अब तक 21 लाख 11 हजार 991 महिलाओं ने योजना के लिए आवेदन किया था. इसमें से 20 लाख 89 हजार 946 महिलाओं को हर माह ₹1,500 की सहायता दी जा रही है.
सरकार पर भारी आर्थिक बोझ
पूरे महाराष्ट्र में 2.5 करोड़ से अधिक महिलाओं को यह राशि देने से राज्य सरकार पर भारी आर्थिक बोझ पड़ा है. पुणे जिले के ग्रामीण तालुकों में पिछले कुछ महीनों से फील्ड जांच चल रही है. अब तक की जांच में शुरुआती डाटा में गड़बड़ी सामने आ रही है. महिला व बाल कल्याण विभाग द्वारा यह क्रॉस-वेरिफिकेशन जारी है, ताकि सिर्फ योग्य लाभार्थियों को ही योजना का लाभ मिले.