कश्‍मीर, ग्रीस, आर्मेनिया… तुर्की, अजरबैजान और पाकिस्‍तान की तिकड़ी का खतरनाक मंसूबा, भारत और NATO के लिए बड़ा खतरा

अंकारा: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत और पाकिस्‍तान के बीच करीब 4 दिन तक सीमित युद्ध चला। इस युद्ध के दौरान चीन और तुर्की के हथियारों की पोल खुल गई। तुर्की खुद को ड्रोन सुपर पावर मानता है लेकिन उसके ये शिकारी खुद ही भारतीय हवाई कवच के शिकार हो गए। इससे तुर्की बौखलाया हुआ है। हाल ही में तुर्की के राष्‍ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन, पाकिस्‍तान के पीएम शहबाज शरीफ और अजरबैजान के राष्‍ट्रपति इल्‍हाम अलियेव की एक बैठक हुई जिसमें इस करारी श‍िकस्‍त के बाद आगे की रणनीति बनाई। पाकिस्‍तान, तुर्की और अजरबैजान की तिकड़ी ने ऐलान किया है कि वे रक्षा संबंध को और ज्‍यादा मजबूत करेंगे। दरअसल जहां पाकिस्‍तान ने कश्‍मीर पर नजर गड़ा रखी है, वहीं तुर्की और अजरबैजान के निशाने पर भारत के दो दोस्‍त देश हैं जिन पर वह हमला करने के लिए सैन्‍य तैयारी को मजबूत कर रहा है। आइए समझते हैं पूरा मामला…

भारत के तुर्की के किलर ड्रोन को मार गिराने के बाद से ही खलीफा एर्दोगन अब नई दिल्‍ली के दोस्‍त ग्रीस को तेजी से निशाना बनाने लगे हैं। तुर्की ग्रीस को धमका रहा है कि जिस तरह से पाकिस्‍तान ने भारत के फाइटर जेट को मार गिराया, उसी तरह से ग्रीस के व‍िमानों को एर्दोगन की सेना मार गिराएगी। हाल ही में ग्रीस ने फ्रांस से 24 राफेल फाइटर जेट खरीदे हैं। इससे तुर्की की सरकार बौखलाई हुई है। ग्रीस के राफेल फाइटर जेट की क्षमता पर तुर्की का सरकार पोषित मीडिया सवाल उठाने में जुटा हुआ है। तुर्की और ग्रीस का कई साल से तनाव चल रहा है। ग्रीस को डराने के लिए अब तुर्की भारत और पाकिस्‍तान की लड़ाई का उदाहरण दे रहा है।

ग्रीस और भारत के खिलाफ तुर्की का खतरनाक प्‍लान

इसके अलावा भारत ने तुर्की के बायरकतार टीबी-2 ड्रोन को जिस तरह से फेल कर दिया, उससे तुर्की के इस कथित ब्रह्मास्‍त्र की पोल खुल गई है। तुर्की ने इसे यूक्रेन से लेकर अजरबैजान को बेचा है। भारत के पड़ोसी देशों मालदीव, पाकिस्‍तान और बांग्‍लादेश ने इस बायरकतार टीबी-2 ड्रोन को खरीदा है। वहीं भारत ग्रीस के साथ खुलकर खड़ा है और निवेश करने की भी तैयारी है। यह निवेश बंदरगाह, पर्यटन और रक्षा के क्षेत्र में किया जाना है। भारत के आकाश और टी-4 डिफेंस सिस्‍टम ने तुर्की के ड्रोन को मार गिराया। अब तुर्की को डर सता रहा है कि भारत ग्रीस को हथियारों का निर्यात कर सकता है। यही नहीं भारत का तुर्की के विरोधी साइप्रस और आर्मेनिया के साथ भी रक्षा रिश्‍ते मजबूत हो चुके हैं। भारत ने आर्मेनिया को कई बेहतरीन हथियारों की सप्‍लाई की है। इससे पाकिस्‍तान, तुर्की और अजरबैजान की नापाक चाल फेल होती दिख रही है।

असल में तुर्की कई साल से ग्रीस और आर्मेनिया पर हमले की धमकी दे रहा है। अमेरिकी व‍िश्‍लेषक माइकल रुबिन के मुताब‍िक साल 2024 में जब अमेरिका ने तुर्की को एफ-16 फाइटर जेट देने के लिए संसद से अनुरोध किया था, उसी दिन एर्दोगन ने एक भाषण दिया था। तुर्की के खलीफा ने इसमें कहा था, ‘हमारा संघर्ष दुश्‍मन (ग्रीस) को हमारी जमीन से बेदखल और उन्‍हें इजमीर के समुद्र में फेकने से खत्‍म नहीं हो जाएगा।’ इस बयान को काफी भड़काऊ माना गया था। इजमीर में ही 1 लाख ग्रीक ईसाइयों की हत्‍या कर दी गई थी। रुबिन ने बताया कि एर्दोगन के इस बयान के एक सप्‍ताह बाद तुर्की के व‍िश्‍लेषकों ने दावा किया था कि अगर उनकी पहली स्‍वदेशी मिसाइल तयफुंस को इदिर्ने या इजमीर से फायर किया गया तो हम ग्रीस की राजधानी एथेंस को निशाना बना सकते हैं।

ग्रीस में नरसंहार करना चाहता है तुर्की ?

एर्दोगन लंबे समय से ग्रीस के लोगों को समुद्र में फेंकने का सपना देख रहे हैं। तुर्की का दावा है कि Aegean Sea के 152 द्वीप पर उसका कब्‍जा है जिसे साल 1923 में तुर्की और इटली के बीच हुई संधि के बाद ग्रीस को दे दिया गया था। इसमें 1947 की ट्रीटी ऑफ पेरिस का भी योगदान है। ग्रीस के अलावा तुर्की की नजर आर्मेनिया पर भी है। तुर्की के पूर्व रक्षा मंत्री हुलूसी अकार ने साल 2024 में अपनी अजरबैजान की यात्रा के दौरान आर्मेनिया को धमकी दी थी। तुर्की के नेता ने कहा कि नगर्नो कराबाख में जो अजरबैजान ने किया है, वह हम आर्मेनिया की धरती पर कर सकते हैं। अजरबैजान पर आरोप है कि उसने कराबाख में नरसंहार किया।

तुर्की की मदद से ही अजरबैजान आर्मेनिया के एक बड़े इलाके पर कब्‍जा जमाए हुए है। भारत ने तुर्की और अजरबैजान की कुटिल चाल को फेल करने के लिए आर्मेनिया को कई घातक हथियार दिए हैं। इसमें पिनाका रॉकेट सिस्‍टम भी शामिल है। तुर्की को अमेरिका ने तब एफ-16 देने का फैसला किया था जब उसने हामी भरी थी कि वह ग्रीस के द्वीपों पर उड़ान को नहीं रोकेगा। इसके बाद एर्दोगन ने अपने वादे को तोड़ दिया। तुर्की और ग्रीस दोनों ही नाटो के सदस्‍य देश हैं। माइकल रुबिन कहते हैं कि एर्दोगन की व‍िचारधारा में ही समस्‍या की जड़ है। एर्दोगन का इरादा तुर्की को इस्‍लामिक दुनिया का खलीफा बनाने का है। इसके लिए तुर्की के प्रभाव को बढ़ाने में जुटे हैं। रुबिन ने कहा कि वास्‍तविकता को अनदेखा करने से न तो स्थिरता आएगी और न ही सुरक्षा होगी, बल्कि यह नाटो को बर्बाद कर सकता है। इससे आगे चलकर अमेरिका को यूरोप में एक और युद्ध लड़ना पड़ सकता है।

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