पीत पत्रकारिता लोकतंत्र के लिए घातक- सतीश त्रिपाठी

नौतनवां/महराजगंज (आनन्द श्रीवास्तव)। “खींचों ना कमानों को, ना तलवार निकालो।जब तोप मुकाबिल हो तो अखबार निकालो॥ अकबर इलाहाबादी का यह शेर पत्रकारिता की ताकत बताने के लिए काफी है।

 

हिंदी पत्रकारिता दिवसइसी पत्रकारिता पर कायम सतीश त्रिपाठी ने 30 मई हिंदी पत्रकारिता दिवस पर समस्त पत्रकारों को हार्दिक शुभकामनाएं दी है। अपने शुभकामना संदेश में श्री ।त्रिपाठी ने कहा है कि आज पत्रकारिता इस मशहूर शायर के शायरी को शायद जानती भी नहीं है और या तो भूल गई है। आज पीत पत्रकारिता चरम पर है। तुच्छ स्वार्थवश पत्रकार दो-दो हाथ करने पर भी आतुर हो जा रहे हैं। पीत पत्रकारिता के वजह से ही पत्रकारों का सम्मान गिरता चला जा रहा है। जो समाज सुधारक और चिंतकों के सोचने का विषय है। 30 मई 2025 को भारतीय हिन्दी पत्रकारिता 199 वर्षों की हो जाएगी। भारतीय पत्रकारिता के इतिहास में अपना अलग महत्व रखने वाला समाचार पत्र ‘‘उदन्त मार्तण्ड’’ हिन्दी का प्रथम समाचार पत्र, 30 मई 1826 को कलकत्ता से साप्ताहिक समाचार पत्र के रूप में प्रकाशित हुआ। इसका प्रकाशन जुगल किशोर शुक्ल ने किया था। श्री त्रिपाठी ने कहा कि पत्रकारिता समाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह लोगों को सूचित करती है। लोकतंत्र को मजबूत करती है।और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देती है। पत्रकारिता जनता को स्थानीय, राष्ट्रीय और वैश्विक स्तर पर होने वाली घटनाओं से अवगत कराती है। जिससे उन्हें सही जानकारी मिलती है और वे अपने आसपास की दुनिया को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं।

पत्रकारिता सरकार और अन्य संस्थानों को जनता के सामने रखती है, जिससे लोकतंत्र मजबूत होता है।

पत्रकारिता सामाजिक अन्याय और अन्याय के मामलों को उजागर करती है, जिससे सामाजिक न्याय को बढ़ावा मिलता है। पत्रकारिता लोगों को सही जानकारी देकर उन्हें सशक्त बनाती है।

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