रेडी है भारत का PoK विलय का अभियान, असली पिक्चर आने तक ‘प्रोबेशन’ पर पाकिस्तान!

 

श्रीनगर: पाकिस्तानी लीडर और आर्मी पर अब तक का सबसे बड़ा संकट खड़ा हो गया है. ये संकट है PoK पर कब्ज़ा बनाए रखना क्योंकि जैसे ही भारत ने साफ कर दिया कि अब बात सिर्फ PoK पर होगी, वैसे ही PoK की अवाम ने भी पाकिस्तानी हुकूमत और सेना के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. इससे स्थिति ये बन गई है कि पाकिस्तान के लिए POK पर काबिज रहना मुश्किल हो गया है. इसलिए पाकिस्तान ने एक नई चाल चली है. आइए जानते हैं पाकिस्तान की इस चाल के बारे में.

पहलगाम में आतंकी हमला करवाना पाकिस्तान सेना और हुक्मरानों पर भारी पड़ गया. भारत ने PoK में बनाए आतंकी ठिकाने और पाकिस्तान के अंदर आतंक के आकाओं के महलों को नेस्तनाबूद कर दिया. इससे भी बड़ी गलती पाकिस्तान ने तब कि जब भारत पर पलटवार की कोशिश हुई. इस कोशिश का जवाब भारत ने ऐसा दिया कि पाकिस्तान के सैन्य अड्डे ही तहस-नहस हो गए. नतीजा ये निकला कि न सिर्फ अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान का मखौल उड़ा, बल्कि उसे हथियार देने वाला चीन भी बेइज्जत हो गया.

मजबूरी में पाकिस्तान को घुटने टेकने पड़े. अब भारत का रुकना नामुमकिन है. PoK की वापसी तक पाकिस्तान पर खतरा मंडराता रहेगा. ऑरेशन सिंदूर पर अल्पविराम का मतलब पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई का अंत नहीं है. बल्कि पाकिस्तान के खिलाफ एक ऐसी कार्रवाई की शुरुआत है, जिसका शायद ही पाक हुक्मरान और सेना ने कभी अनुमान लगाया होगा.

भारत का नया मिशन ‘PoK वापसी का प्रबंध’

भारत ने तय कर लिया है कि अब पाकिस्तान से PoK को कब्ज़ामुक्त कराना है. इस दिशा में भारत ने अपने कदम भी आगे बढ़ा दिए हैं. रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दो टूक कहा है कि ऑपरेशन सिंदूर तो बस ट्रेलर था, सही वक्त पर असली पिक्चर सामने आएगी. उधर, कश्मीर गला फाड़-फाड़कर चीखने वाले पाकिस्तानी हुक्मरान और सेना के मुखिया इस सच्चाई को देखकर दंग हैं.

PoK पर अवैध कब्ज़े से आजिज़ अवाम ने पाकिस्तान के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. जो बताता है कि भारत के मिशन PoK को PoK की अवाम ने खुला समर्थन दे दिया है. यानी ऑपरेशन सिंदूर ने PoK की अवाम को एक मकसद दे दिया है. मकसद है अपने क्षेत्र की पाकिस्तान के कब्ज़े से आजादी और इसका मतलब है POK पाकिस्तान के हाथ से निलकता जा रहा है क्योंकि भारत ने अपना रुख पहले ही साफ कर दिया है कि POK की जब तक वापसी नहीं होती, तब तक पाकिस्तान से न तो कोई बात होगी, न ही पाकिस्तान के साथ कोई संधि बहाल होगी.

इसलिए साफ पता चलता है कि भारत ने PoK वापसी का प्रण ले लिया है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बीते दिन ही कहा था कि पाकिस्तान के साथ चर्चा का एक ही विषय है PoK की वापसी. सिंधु जल समझौता तक निलंबित रहेगा जब तक पाकिस्तान की तरफ आतंकी गतिविधियां बंद नहीं हो जातीं. यानी पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य ऑपरेशन सिर्फ पहलगाम का बदला या पाकिस्तान की कार्रवाई का जवाब नहीं था, बल्कि ये पाकिस्तान को दिया गया एक अल्टीमेटम है, जिसे PoK की अवाम समझ चुकी है.

चीन को बीच में लाकर एक अड़ंगा लगाने की कोशिश

मगर, इस संकट से निपटने का हुक्मरानों और सेना के पास कोई दूसरा रास्ता नहीं है. इसलिए चीन को बीच में लाकर एक अड़ंगा लगाने की कोशिश हो रही है. DG ISPR अहमद शरीफ चौधरी का कहना है कि कश्मीर एक बड़ी समस्या है. ये एक ऐसी समस्या है जिसमें तीन देश शामिल हैं…पाकिस्तान, भारत और चीन भी. ये एक ऐसी समस्या है जिसका समाधान कश्मीर के लोगों की इच्छा के अनुसार होना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव के अनुसार होना चाहिए.

अगर PoK की अवाम को ही फैसला करना है तो फिर पाकिस्तान को जवाब मिल रहा है. इसलिए PoK हाथ से निकलने की स्थिति को भांपते हुए, चीन को बीच में लाया जा रहा है लेकिन चीन ही क्यों? दरअसल जम्मू-कश्मीर में भारत के साथ चीन का दो हिस्सों पर विवाद है. पहला लद्दाख का पूर्वी क्षेत्र और दूसरा अक्साई चिन. वहीं कश्मीर को लेकर भारत ने अपनी स्थिति साफ कर दी है कि ये द्विपक्षीय मामला है, जिसमें किसी का दखल मंजूर नहीं है. इसलिए PoK पर कब्ज़ा बरकरार रखने के लिए पाकिस्तान ने मुद्दे पर चीन की एंट्री करवाई है.

जल्द ही पीओके का भारत में होगा विलय

चीन से ही पाकिस्तान को इतनी उम्मीद क्यों है ये भी जान लीजिए. पिछले एक दशक से ज्यादा समय से चीन ने पाकिस्तान का खुला समर्थन किया है. पाकिस्तान के आतंकवादियों को संयुक्त राष्ट्र संघ में वीटो पावर लगाकर बचाया है. पिछले 5 साल में पाकिस्तान को अपने 81 प्रतिशत हथियार दिए हैं. भारत के साथ संघर्ष में भी चीन ने ही पाकिस्तान की सबसे ज्यादा मदद की है. इसलिए पाकिस्तान को उम्मीद है कि इस मुद्दे पर चीन को बीच में लाकर अपना कब्ज़ा बचाया जा सकता है.

पाकिस्तान की उम्मीद हवाई भी नहीं है क्योंकि PoK में चीन ने बड़ा इन्वेंस्टमेंट कर रखा है. इस क्षेत्र में चीन के 300 मिलियन डॉलर के प्रोजेक्ट चल रहे हैं. यानी PoK का अगर भारत में विलय हुआ तो चीन को भी बड़ा नुकसान होगा. इसलिए भारत के इरादों से डरे पाकिस्तान ने चीन की एंट्री कराने में ही भलाई समझी है लेकिन ये जवाब पाकिस्तान से नहीं चाहिए. चाहिए तो सिर्फ जम्मू-कश्मीर का वो हिस्सा जिस पर अवैध कब्ज़ा किया गया है. हालात बता रहे हैं कि कश्मीर के उस हिस्से का जल्द ही भारत में विलय होगा.

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