Red Fort blast: पोस्टमार्टम रिपोर्ट में खुला विस्फोट का भयावह चेहरा, फेफड़े और आंतें तक फट गईं…

नई दिल्ली: दिल्ली के लाल किला इलाके में हुए बम विस्फोट की पोस्टमार्टम रिपोर्ट ने घटनास्थल की भयावहता को फिर से उजागर किया है। रिपोर्ट में सामने आया है कि धमाके की तीव्रता इतनी अधिक थी कि कई मृतकों के कान के पर्दे फट गए, फेफड़े और पेट की आंतें गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हो गईं। कई लोगों की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि गंभीर रूप से घायलों ने अस्पताल में दम तोड़ दिया। मौलाना आज़ाद मेडिकल कॉलेज के शवगृह में अब तक छह शवों की पहचान हो चुकी है।

भारी चोटें और क्रॉस-इंजरी पैटर्न
फोरेंसिक विशेषज्ञों ने बताया कि विस्फोट से कई शवों पर ‘क्रॉस-इंजरी पैटर्न’ दिखाई दिया। इसका मतलब है कि धमाके की लहर से लोग दीवारों या ज़मीन से टकराए, जिससे हड्डियां टूट गईं और सिर व छाती पर गंभीर चोटें आईं। अत्यधिक रक्तस्राव और गंभीर चोटों के कारण कई मौतें हुईं।

विस्फोटक की रहस्यमयी प्रकृति
रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि शवों पर पारंपरिक विस्फोटक के कोई छर्रे या निशान नहीं पाए गए। शुरुआती जांच से संकेत मिलता है कि विस्फोट में किसी नए या संशोधित प्रकार के विस्फोटक का इस्तेमाल किया गया हो सकता है। फोरेंसिक प्रयोगशालाओं में रासायनिक विश्लेषण जारी है, ताकि विस्फोटक के प्रकार और स्रोत का पता लगाया जा सके। विशेषज्ञों ने बताया कि अधिकतर चोटें शरीर के ऊपरी हिस्से, सिर और छाती पर केंद्रित थीं। यह स्पष्ट करता है कि धमाका बहुत पास से हुआ और इसके प्रभाव ने आसपास मौजूद लोगों को सीधे प्रभावित किया।

जांच की दिशा
सुरक्षा एजेंसियां घटना के सभी पहलुओं की जांच कर रही हैं। विस्फोटक के प्रकार, स्रोत और इस्तेमाल की तकनीक की पुष्टि के लिए फोरेंसिक और रासायनिक परीक्षण जारी हैं।

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