नई दिल्ली (आनन्द श्रीवास्तव): दीपावली का पर्व रोशनी, उल्लास और पारिवारिक मिलन का प्रतीक है। इस दिन हर घर दीपों से जगमगाता है, परिवारजन एक साथ बैठकर मिठाइयाँ बाँटते हैं और रिश्तों की गर्माहट को महसूस करते हैं। लेकिन इसी बीच कुछ ऐसे लोग भी हैं, जिनकी दीपावली परिवार के साथ नहीं बल्कि ड्यूटी पर गुजरती है। ये हैं हमारे पुलिस जवान, जो त्योहार की भीड़भाड़ और सुरक्षा व्यवस्था को संभालने के लिए चौक-चौराहों से लेकर संवेदनशील इलाकों तक तैनात रहते हैं।
परिवार से दूर, जिम्मेदारी के साथ
जब हम अपने घरों में दीप जलाकर उत्सव का आनंद ले रहे होते हैं, तब पुलिसकर्मी अपने परिवार से दूर रहकर समाज की सुरक्षा में लगे होते हैं। उनके बच्चे भी चाहते हैं कि पिता या माता उनके साथ दीपावली मनाएँ, लेकिन ड्यूटी की पुकार उन्हें घर से बाहर खड़ा कर देती है। यही वह त्याग है, जो पुलिस सेवा को केवल नौकरी नहीं बल्कि एक जिम्मेदारी और समर्पण का प्रतीक बनाता है।
त्योहार पर बढ़ती जिम्मेदारियाँ
दीपावली के दौरान बाजारों में भीड़ बढ़ जाती है, आतिशबाजी और यातायात का दबाव भी चरम पर होता है। ऐसे में पुलिस जवानों की जिम्मेदारी कई गुना बढ़ जाती है। उन्हें न केवल कानून-व्यवस्था बनाए रखनी होती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना होता है कि लोग सुरक्षित माहौल में त्योहार मना सकें। आतिशबाजी से होने वाली दुर्घटनाओं, चोरी-छिनैती और सड़क हादसों को रोकने में उनकी सतर्कता अहम भूमिका निभाती है।
त्योहार पर ड्यूटी निभाते इन जवानों की संवेदनाएँ भी किसी आम इंसान जैसी ही होती हैं। वे भी अपने बच्चों के साथ दीप जलाना चाहते हैं, परिवार संग मिठाइयाँ बाँटना चाहते हैं। लेकिन जब वे वर्दी पहनकर सड़क पर खड़े होते हैं, तो उनके लिए सबसे बड़ा संतोष यही होता है कि उनकी मौजूदगी से समाज सुरक्षित है और लोग निश्चिंत होकर त्योहार मना रहे हैं।
दीपावली केवल घरों को रोशन करने का पर्व नहीं है, बल्कि यह उन लोगों के प्रति आभार व्यक्त करने का भी अवसर है, जो हमारी सुरक्षा के लिए अपने सुख-चैन का त्याग करते हैं। पुलिस जवानों की यह ड्यूटी हमें यह याद दिलाती है कि समाज की खुशहाली और शांति के पीछे उनका अथक परिश्रम छिपा है।
इस दीपावली पर जब हम अपने घरों में दीप जलाएँ, तो एक दीप उन पुलिस जवानों के नाम भी जलाएँ, जो अपने परिवार से दूर रहकर हमारी सुरक्षा में तैनात रहते हैं। यही सच्ची श्रद्धांजलि और आभार होगा उनके त्याग और समर्पण के प्रति।











