काठमांडू: नेपाल में बढ़ती राजनीतिक और सामाजिक अशांति के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है, जिससे देश की राजनीतिक स्थिति और भी तनावपूर्ण हो गई है। राजधानी काठमांडू और अन्य बड़े शहरों में भारी विरोध प्रदर्शन हुए, जहां प्रदर्शनकारियों ने संसद भवन पर कब्जा करने की कोशिश की और कई जगह आगजनी की घटना हुई। प्रदर्शन का मुख्य कारण भ्रष्टाचार, सोशल मीडिया पर प्रतिबंध और युवाओं की बढ़ती नाराजगी बताई जा रही है।
प्रदर्शनकारियों ने न केवल सरकारी इमारतों पर हमला किया, बल्कि प्रमुख राजनीतिक नेताओं के घरों में भी आगजनी की घटनाएं हुईं। इसमें पूर्व प्रधानमंत्री पुष्प कमल दहल ‘प्रचंड’, शेर बहादुर देउबा, इस्तीफा देने वाले गृह मंत्री रमेश लेखक और संचार मंत्री पृथ्वी सुब्बा गुरुंग के घर शामिल हैं। हिंसा के कारण अब तक 19 लोगों की मौत हो चुकी है, जिससे देश में भारी तनाव और अशांति व्याप्त है।

इस्तीफों का दौर तेज
इस बीच, सरकार में इस्तीफों का दौर भी तेज हो गया है। गृह मंत्री रमेश लेखक के अलावा कृषि मंत्री रामनाथ अधिकारी, स्वास्थ्य मंत्री प्रदीप पौडेल और जल आपूर्ति मंत्री प्रदीप यादव ने भी पद छोड़ दिया है। राजनीतिक संकट गहराता जा रहा है और गठबंधन सरकार के टूटने की संभावना बढ़ गई है, जो जुलाई 2024 से नेपाल की सत्ता संभाले हुए थी।
विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली पर प्रदर्शनकारियों की मांगों को नजरअंदाज करने का आरोप लगाते हुए, उन्हें इस्तीफा देने के लिए दबाव बनाया। सिंह दरबार में विपक्षी नेताओं की बैठक में यह फैसला लिया गया कि ओली के नेतृत्व वाली सरकार अब देश की परिस्थितियों को संभालने में विफल रही है।

स्थिति इतनी गंभीर हो गई है कि राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल के निजी आवास के बाहर भी आगजनी और गोलीबारी हुई, जिससे सुरक्षा व्यवस्था चरमरा गई। प्रदर्शनकारी इतने आक्रामक हो गए हैं कि सरकारी इमारतों और मंत्रियों के कार्यालयों में फायरिंग और तोड़फोड़ की खबरें लगातार आ रही हैं।

नेपाल के पूर्व राजा ज्ञानेंद्र शाह ने इस हिंसा और रक्तपात पर गहरा दुख जताते हुए कहा है कि युवाओं की मांगों को गंभीरता से न लेने से हालात बिगड़े हैं। उन्होंने सरकार से अपील की है कि वह युवाओं की आवाज को सुने और समाधान निकाले।
नेपाल इस समय एक बड़े राजनीतिक और सामाजिक संकट से गुजर रहा है, जहां सरकार की जवाबदेही, भ्रष्टाचार और युवा वर्ग की नाराजगी मुख्य मुद्दे बन गए हैं। आने वाले दिनों में इस संकट का समाधान कैसे निकलेगा, यह पूरी दुनिया की नजरें नेपाल की ओर हैं।






