यूपी में आवारा कुत्तों के लिए होने जा रहा खास इंतजाम, प्रमुख सचिव ने जारी किए दिशा निर्देश

लखनऊ: सड़कों पर घूमने वाले आवारा श्वानों के काटने की घटनाओं को रोकने के लिए उनके लिए इधर-उधर खाना फेंकने पर रोक लगा दी गई है। हर वार्ड और मुहल्लों में ऐसे कुत्तों के लिए एक निश्चित स्थान पर खाना रखने के इंतजाम होंगे। इसके साथ ही उनके लिए पर्याप्त फीडिंग जोन बनाए जाएंगे। इसको बच्चों के खेल स्थलों, प्रवेश और निकासी द्वार या अधिक आवाजाही वाले स्थानों से दूर रखा जाएगा। नियमों का पालन कर रही महिलाओं या पशुप्रेमियों को धमकाना या उनके साथ दुर्व्यवहार करना अपराध माना जाएगा।

प्रमुख सचिव नगर विकास अमृत अभिजात ने शहरी क्षेत्रों में लगातार बढ़ती आवारा श्वानों के काटने की घटनाओं और मानव-पशु संघर्ष की समस्या को देखते हुए नया दिशा-निर्देश जारी किया है। श्वानों को भोजन कराने वालों की जिम्मेदारी तय की गई है। उन्हें केवल निर्धारित स्थानों पर ही भोजन देना होगा और स्वच्छता का ध्यान रखते हुए बचे हुए भोजन का उचित निस्तारण करना होगा। आवासीय सोसायटियों को नियमों का पालन अनिवार्य होगा। पशुप्रेमियों को श्वानों की नसबंदी और रेबीज टीकाकरण कार्यक्रम में सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा।

फीडिंग से संबंधित विवाद की स्थिति में एक समिति गठित की जाएगी। इसमें मुख्य पशुचिकित्साधिकारी, पुलिस अधिकारी, आवासीय सोसायटियों के सदस्य, आवेदक और अन्य लोग शामिल होंगे। समिति का निर्णय अंतिम होगा और यदि विवाद जारी रहता है तो मामला राज्य बोर्ड को भेजा जाएगा। श्वानों को तय स्थानों से बाहर भोजना करना प्रतिबंधित होगा। निकायों को फीडिंग जोन पर सूचना बोर्ड लगाने होंगे और उल्लंघन करने वालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

नगर निकाय नागरिकों को फीडिंग जोन और नियमों की जानकारी देने के लिए जागरूकता अभियान चलाएंगे। शिकायतों और समस्याओं के समाधान के लिए हेल्पलाइन नंबर उपलब्ध कराया जाएगा। एनजीओ, संस्थाओं और पशुप्रेमियों की मदद से नशबंदी कार्यक्रम को बढ़ावा दिया जाएगा। बेहतर काम करने वाले निकायों और संस्थाओं को सम्मानित किया जाएगा।

आवारा श्वानों को गोद लेने की व्यवस्था होगी। गोद लेने के बाद उन्हें छोड़ना अपराध माना जाएगा। श्वानों की नसबंदी और रेबीज टीकाकरण का कार्यक्रम निरंतर चलेगा और उपचार के बाद श्वानों को उसी क्षेत्र में छोड़ा जाएगा जहां से उन्हें पकड़ा गया था। आक्रामक या रेबीज से संक्रमित श्वानों को निगरानी के लिए विशेष सेंटर में रखा जाएगा। सभी निकायों को इसके लिए एक नोडल अधिकारी नामित करना होगा। निदेशक स्थानीय निकाय की अध्यक्षता में एक निगरानी समिति बनेगी।

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