नई दिल्ली: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक के बाद एक ताबड़तोड़ फैसले ले रहे हैं. इस महीने की शुरुआत में ही उन्होंने अमेरिका में दूसरे देश से बनकर आने वाली कारों (Imported Cars) पर 25 प्रतिशत का टैरिफ लगा दिया है. इससे जहां एक ओर Tesla की टेंशन बढ़ी हुई है, वहीं दुनिया को चीन और भारत जैसी इकोनॉमी को नुकसान पहुंचने का भी अंदेशा है. जबकि हकीकत ये है कि उनका ये फैसला अमेरिका की इकोनॉमी का ‘महाविनाश’ करा सकता है.
अमेरिका आज की तारीख में एक सर्विस बेस्ड इकोनॉमी है. वहां मैन्यूफैक्चरिंग सेक्टर में उतना काम नहीं होता है, जितना कि इस समय सर्विस सेक्टर में. ऐसे में अगर अमेरिका इंपोर्टेड कारों पर टैरिफ बढ़ाता है, तो वहां कारों की कीमत तेजी से बढ़ेगी. ऐसे में विशेषज्ञों का मानना है कि ये अमेरिका में कारों की डिमांड को कम करने का काम करेगा. गोल्डमैन सैक्स जैसी एनालिस्ट फर्म ने भी इसे लेकर अनुमान जताया है.
महंगी हो जाएंगी कार
गोल्डमैन सैक्स का कहना है कि ट्रंप सरकार के टैरिफ वाले फैसले से अगले 6 से 12 महीने में कारों की कीमत तेजी से बढ़ेगी. अमेरिका में कारों की कीमत 2,000 से 4,000 डॉलर तक बढ़ सकती है. इतना ही नहीं, डोनाल्ड ट्रंप के इस फैसले से अमेरिका की ऑटो इंडस्ट्री की टोटल लागत 100 अरब डॉलर तक बढ़ जाएगी.
बोस्टन कंसल्टिंग ग्रुप जैसी ऑटोमोटिव सेक्टर की एनालिस्ट कंपनी का मानना है कि ट्रंप टैारिफ से कार कंपनियों की टोटल लागत 110 से 160 अरब डॉलर तक बढ़ेगी. ये अमेरिका में नई कारों के 20 प्रतिशत मार्केट पर असर डालेगा. वहीं डिमांड बढ़ने से पुरानी या सेकेंड हैंड कारों की कीमत भी तेजी से बढ़ेगी.
थिंक टैंक सेंटर फॉर ऑटोमोटिव रिसर्च का कहना है कि इससे अमेरिकी कार कंपनी जनरल मोटर्स, फोर्ड मोटर और स्टेलैंन्टिस की लागत हीं 41.9 अरब डॉलर तक बढ़ जाएगी.
अमेरिकी इकोनॉमी का होगा ‘महाविनाश’
ट्रंप टैरिफ की वजह से अमेरिका में कारों की डिमांड गिरने की आशंका है. ये अमेरिका की इकोनॉमी को बड़ा झटका देगी. अमेरिकी इकोनॉमी की हालत पहले ही बहुत नाजुक बनी हुई है. उसका व्यापार घाटा लगातार 4 साल से 1 ट्रिलियन डॉलर के आसपास बना हुआ है. ऐसे में इकोनॉमी में बढ़ती महंगाई और घटती डिमांड उसे ‘मंदी’ के दलदल में धकेल सकती है. ये उसे ‘द ग्रेट डिप्रेशन’ जैसे ‘महाविनाश’ की ओर ले जा सकती है.